दुनिया में हिंदी के अस्तित्व को बनाए रखने और इसे अत्याधिक मजबूत करने के लिए भारत लगातार प्रयासरत है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए हमारा प्रयास जारी है। मॉरीशस में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन में विदेश मंत्री ने कहा कि हिंदी का महत्व बढ़ाने के साथ विभिन्न देशों में लुप्त हो रही हिंदी को बचाने के प्रयास से जोड़ा है।
विदेश मंत्री ने कहा कि कई देशों में इस बात की चिंता है कि हिंदी धीरे-धीरे लुप्त हो रही हे। हालांकि भारत हिंदी को बचाने में अहम योगदान दे सकता है।
हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के बारे में अड़चनों का जिक्र करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिए प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत से पारित करने के साथ सभी सदस्य देशों को इस पर होने वाले खर्च के लिए अंशदान करना होता है।
उन्होंने कहा कि हिन्दी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र में 129 देशों का समर्थन जुटाना कठिन काम नहीं है। हमने योग दिवस को मान्यता दिलाने में 177 देशों का समर्थन जुटाया, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में सदस्यता के संदर्भ में 183 देशों का समर्थन जुटाया।
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विदेश मंत्री ने कहा कि लेकिन आधिकारिक भाषा के संदर्भ में सदस्य देशों को वोट से समर्थन देने के साथ आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ता है। अगर इसका पूरा खर्च भी हमें देना पड़े, तब भी हम इसके लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि यही स्थिति जर्मनी और जापान के सामने भी है। ये दोनों देश भी अपनी भाषा को इस विश्व निकाय की आधिकारिक भाषा बनाना चाहते हैं। लेकिन उनके सामने भी यही बाधा आ रही है।
उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य के तहत भारत ने मॉरीशस के राष्ट्रीय पक्षी डोडो को विलुप्त हो रही हिंदी का प्रतीक मानते हुए विश्व हिंदी सम्मेलन का साझा लोगो तैयार किया गया है।
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सुषमा ने कहा मॉरीशस में 18 से 20 अगस्त के बीच आयोजित हो रहा विश्व हिंदी सम्मेलन काफी व्यापक और भव्य होगा। इसकी थीम हिंदी विश्व और भारतीय संस्कृति है। इसमें संस्कृति के विभिन्न आयामों पर चर्चा होगी।
Source : News Nation Bureau