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डाकोला, फिलिस्तीन, पाकिस्तान सभी मुद्दों पर सुषमा स्वराज ने विपक्ष को चुन-चुन कर दिया जवाब

सुषमा स्वराज ने डाकोला पर चीन के साथ तनातनी पर कहा कि ऐसे मुद्दे केवल द्विपक्षीय वार्ता के जरिए ही सुलझाए जा सकते हैं। सुषमा ने पाकिस्तान से रिश्ते पर भी बात रखी।

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vineet kumar
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डाकोला, फिलिस्तीन, पाकिस्तान सभी मुद्दों पर सुषमा स्वराज ने विपक्ष को चुन-चुन कर दिया जवाब

सुषमा स्वराज (फोटो- वीडियो ग्रैब)

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नरेंद्र मोदी सरकार की विदेश नीति पर घेरने की कोशिशों के बीच विपक्ष के सवालों का विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को राज्य सभा में जवाब दिया। इस दौरान सुषमा ने चीन के साथ डाकोला पर विवाद सहित पाकिस्तान से रिश्ते और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजराइल दौरे और सरकार पर फिलिस्तीन के साथ रिश्तों की अवहेलना के आरोपों पर अपनी बात रखी।

सुषमा स्वराज ने डाकोला पर चीन के साथ तनातनी पर कहा कि ऐसे मुद्दे केवल द्विपक्षीय वार्ता के जरिए ही सुलझाए जा सकते हैं। सुषमा स्वराज ने कहा कि चीन के साथ सीमा पर जारी विवाद को युद्ध से नहीं बल्कि बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता है।

सुषमा ने कहा, 'युद्ध कभी भी हल नहीं हो सकता। तरीका यही है कि आप इसे बातचीत के जरिए सुलझाएं। इसके लिए धैर्य और संयम की जरूरत है। हम धैर्य रखेंगे और चीन से लगातार इस मुद्दे पर बात करते रहेंगे।'

सुषमा ने आगे कहा, 'समग्रता में हम चीन से बात कर रहे है। हमारे आर्थिक विकास में चीन भी भागीदार है। और हम सिर्फ डाकोला नही बल्कि समग्र विषय पर बात कर रहे है।'

चीन के राजदूत से राहुल गांधी के मुलाकात पर निशाना

सुषमा स्वराज ने अपने भाषण के दौरान बिना नाम लिए राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। स्वराज ने कहा कि कांग्रेस नेता को पहले सरकार से जानकारी लेनी चाहिए थी फिर चीन के राजदूत से बात करनी चाहिए थी।

सुषमा ने कहा, 'दुखी हूं इस बात से कि सबसे बड़े प्रमुख विपक्षी दल के नेता ने स्थिति जानने के लिए भारत के नेतृत्व को पूछने की बजाए चीन के राजदूत को बुलाना ठीक समझा।'

इजराइल से हमारी दोस्ती लेकिन फिलिस्तीन को नहीं भूलेंगे

सुषमा ने कहा कि इजराइल भारत का दोस्त है, लेकिन फिलिस्तीन को भी भारत  नहीं भूलेगा। उन्होंने कहा, 'इजराइल हमारा मित्र जरूर है लेकिन फिलिस्तीन की चिंताओं की हम अवहेलना कभी नहीं करेंगे और ये हमारा संकल्प है।'

सुषमा के मुताबिक बतौर विदेश मंत्री वे फिलिस्तीन की यात्रा पर गई थी। वहां के नेताओं से मिली थी। सुषमा ने बताया कि पीएम मोदी इजराइल और भारत के बीच राजनयिक संबंधों के 25 साल पूरा होने पर वहां गए थे।

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मोदी में है ट्रंप को चुनौती देने का माद्दा

पेरिस समझौते पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर सुषमा ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा, 'सिर्फ ट्रंप जो बोले वही याद है एक कान में? जो मोदी बोले वो भी याद रखो ना। ट्रम्प ने कहा पेरिस समझौते से निकलने के बाद कि भारत पैसे का मोहताज है। एक घण्टे के भीतर पीएम ने जवाब दिया कि हम किसी के पैसे के मोहताज नही। मोदी में ये माद्दा है कि वो अमेरिका को बोल सके कि कोई रहे या नही रहे हम पेरिस समझौते में रहेंगे।'

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पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की हरसंभव की कोशिश

सुषमा के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने के बाद से ही पाकिस्तान के साथ रिश्ता सुधारने की कोशिश की और शपथ ग्रहण में पाक पीएम को बुलाना ऐसी ही एक कोशिश थी। सुषमा ने कहा, 'पाकिस्तान के साथ हमने शान्ति की पहल की। मामला बदरंग तब हुए जब बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद नवाज शरीफ ने उसे स्वतंत्रता सेनानी कहा। पीएम का काबुल से लाहौर जाना इसी क्रम में एक प्रयास था और आउट ऑफ बॉक्स था।' 

HIGHLIGHTS

  • मोदी सरकार की विदेश नीति पर विपक्ष के सवालों पर सुषमा ने दिया जवाब
  • युद्ध किसी समस्या का हल नहीं, चीन से हर मुद्दे पर कर रहे हैं बात: सुषमा
  • 'इजराइल हमारा मित्र लेकिन फिलिस्तीन की चिंता की अवहेलना नहीं करेंगे'

Source : News Nation Bureau

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