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आखिरी वक्त में हरीश साल्वे को फीस देने के लिए बुलाया था सुषमा स्‍वराज ने

बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ऐसे कई तमाम काम किए है जिसकी वाहवाही दुश्मन देश पाकिस्तान भी करता है. उन्होंने अपने काम के साथ हमेशा ईमानदारी बरती है, जो वो मंत्री पद पर नहीं रहने के बाद भी निभाती रही है.

Updated on: 07 Aug 2019, 07:38 AM

नई दिल्ली:

मंगलवार की रात को देश ने राजनीतिक का अपना एक अनमोल हीरा खो दिया है. दिल का दौरा पड़ने से पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज का निधन हो गया. बताया जा रहा है कि उन्हें दिल का दौड़ा पड़ने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था. लेकिन अस्पताल लाने के कुछ ही देर बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. दिवंगत नेता सुषमा को विपक्ष भी एक दमदार नेता के तौर पर देखता था इसलिए उनकी मौत की खबर सुनने के बाद हर कोई सदमे में है. पूर्व विदेश मंत्री के निधन की खबर के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ रही है.

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बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ऐसे कई तमाम काम किए है जिसकी वाहवाही दुश्मन देश पाकिस्तान भी करता है. उन्होंने अपने काम के साथ हमेशा ईमानदारी बरती है, जो वो मंत्री पद पर नहीं रहने के बाद भी निभाती रही है. अपने जीवन के आखिरी वक्त में भी वो अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटी. निधन से एक घंटे पहले उन्होंने पाक की जेल में बंद कुलभूषण जाधव मामले में भारतीय वकील हरीश साल्वे को उनकी 1 रुपये की फीस देने के लिए बुलाया था. बता दें कि साल्वे ने हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में जाधव मामले की सुनवाई के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व 1 रुपये की फीस पर किया था.

हरीश साल्वे ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए बताया कि उन्होंने निधन से करीब एक घंटे पहले सुषमा स्वराज सी बात की थी. उन्होंने आगे बताया, 'मैंने रात करीब 8:50 बजे उनसे बात की, जो कि एक बहुत ही भावनात्मक बातचीत थी.' साल्वे ने ये भी कहा, 'सुषमा स्वराज ने मुझसे कहा कि आओ और मुझसे मिलो. साथ ही जो केस आपने जीता है उसके लिए मुझे आपको आपकी फीस एक रुपये भी देनी है. इसके बाद मैनें कहा बिल्कुल वो कीमती फीस मुझे लेने आना है.' इस बातचीत के बाद सुषमा ने कहा कि कल 6 बजे आना अपनी फीस लेने.

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बता दें कि भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (49) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने 'जासूसी और आतंकवाद' के आरोपों में अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी जिसके बाद उनकी मौत की सजा पर रोक लगाने के लिए भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

इसके बाद आईसीजे ने पाकिस्तान को जाधव की फांसी की सजा पर रोक बरकरार रखने और उन्हें राजनयिक पहुंच देने का निर्देश दिया था. भारत ने पाकिस्तान से आईसीजे के आदेश पर तत्काल कार्रवाई करने और जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस देने के लिए कहा था.

इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के आदेश के अनुसार पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को 'पाकिस्तानी कानून के अंतर्गत' राजनयिक पहुंच देने के लिए राजी हो गया. इस जीत पर सुषमा स्वराज ने खुशी जाहिर की थी.

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दिवंगत नेता सुषमा ने ट्वीट किया था, 'जाधव मामले में मैं जी जान से अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का स्वागत करती हूं. यह भारत के लिए एक महान जीत है.' उन्होंने मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी शुक्रिया अदा किया और असरदार तरीके से केस लड़ने के लिए वकील हरीश साल्वे को भी धन्यवाद कहा था.