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पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हमारे बीच नहीं रहीं. उनके निधन के बाद देशभर की आंखे नम है. जैसे ही उनके निधन की खबर आईं, सोशल मीडिया शोक संदेशों से भर गया. सुषमा स्वराज की पहचान एक प्रखर वक्ता के तौर पर भी होती है जिन्होंने कई मौकों पर कई देशों की बोलती बंद कर दी थी, फिर वो चाहें संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को लेकर दिया गया उनका भाषण हो या फिर डोकलाम के मुद्दे पर चीन को दिया गा करारा संदेश.
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पहली फुलटाइम महिला विदेश मंत्री थी सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज देश की पहली फुलटाइम महिला विदेश मंत्री थीं. उनसे पहले इंदिरा गांधी भी 2 बार विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं लेकिन उस दौरान वो प्रधानमंत्री भी थी. सुषमा स्वराज पहली महिला थीं जिन्होंने फुलटाइम विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली.
विदेश मंत्री रहने के दौरान सुषमा स्वराज ने 5 सालों तक काफी बड़े बदलाव किए और लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रहीं. उन्होंने अपने ट्विटर को लोगों की मदद करने का जरिया बना लिया था. जब भी कोई उनसे मदद मांगता, वो तुरंत उसका जवाब देतीं और उनकी मदद करतीं.
पहले विदेश में रह रहे भारतीय को अपनी समस्या भारतीय दूतावास तक पहुंचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी, लेकिन सुषमा स्वराज ने इसको बहुत ही आसान कर दिया था. बस लोगों को एक ट्वीट करना होता था, एक ही ट्वीट पर वह सभी की मदद करती थीं. सुषमा स्वराज छोटे से छोटे ट्वीट का जवाब देती थीं. सुषमा स्वराज न केवल भारत के लोगों की मदद करती थीं बल्कि दूसरे देशों के लोगों के लिए भी उनके मदद के दरवाजे हमेशा खुले रहते थे. इन देशों में पाकिस्तान भी शामिल है, यही वजह है कि वहां के लोग आज भी उनके मुरीद हैं.
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मिला था सर्वश्रेष्ठ छात्रा का
स्वराज का परिवार मूल रूप से लाहौर के धरमपुरा क्षेत्र का निवासी था. जो अब पाकिस्तान में है. उन्होंने अम्बाला के सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत तथा राजनीति विज्ञान में स्नातक किया. 1970 में उन्हें अपने कालेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा के सम्मान से सम्मानित किया गया था. वे तीन साल तक लगातार एस॰डी॰ कालेज छावनी की एन सी सी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट और तीन साल तक राज्य की श्रेष्ठ वक्ता भी चुनी गईं.
Source : News Nation Bureau