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पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे होंगे नए कांग्रेस अध्यक्ष
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अंदरखाने से खबर यह आ रही है कि राहुल गांधी के उत्तराधिकारी का नाम तय हो चुका है. यह नाम किसी और कोई का नहीं, बल्कि पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे का है.
पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे होंगे नए कांग्रेस अध्यक्ष
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस में फिलहाल जो कुछ भी चल रहा है, उसे सिर्फ एक शब्द 'नौंटकी' में समाहित किया जा सकता है. कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने की जिद पर अड़े राहुल गांधी से इस्तीफा वापस लेने के लिए लगभग 140 कांग्रेसियों ने इस्तीफा दिया जरूर है, लेकिन एक-दो नाम को छोड़ दें तो बाकी कौन हैं, कहां से आए हैं शायद ही कोई जानता हो. खैर, राहुल गांधी ने सोमवार को एक बैठक बुलाई है. इस बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी शामिल होंगे. इससे पहले अंदरखाने से खबर यह आ रही है कि राहुल गांधी के उत्तराधिकारी का नाम तय हो चुका है. यह नाम किसी और कोई का नहीं, बल्कि पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे का है.
सुशील कुमार शिंदे का नाम फाइनल
संडे गार्जियन की एक खबर के अनुसार गांधी परिवार ने इस पद के लिए मौजूद विकल्पों में सबसे उपयुक्त नेता चुन लिया है. कांग्रेस आलाकमान सभी नामों पर विचार करने के बाद गांधी परिवार की सलाह लेकर पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को पार्टी के अगले अध्यक्ष के तौर पर चुनने का मन बना चुका है. सुशील कुमार शिंदे के नाम पर सहमति बनने से पहले मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, अशोक गहलोत, जनार्दन द्विवेदी से लेकर एके एंटनी और मुकुल वासनिक जैसे नामों पर चर्चा की गई. हालांकि इसकी घोषणा होने में थोड़ा वक्त लग सकता है.
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राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं शिंदे
जानकारी के मुताबिक, सुशील कुमार शिंदे को रविवार को इसके बारे में अंतिम जानकारी दी जा सकती है. इस बाबत शिंदे राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं. जानकारी के अनुसार उनके नाम पर गांधी परिवार की ओर से आम सहमति मिल गई है. यहां तक कि गांधी परिवार के सलाहकार, वरिष्ठ, पार्टी के प्रमुख नेताओं ने भी उन्हें यह दायित्व सौंपने की वकालत की है. ऐसी खबरें हैं कि प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के अगले अध्यक्ष को लेकर अपना विचार जाहिर कर दिया है. हालांकि वह कांग्रेस अध्यक्ष की औपचारिक घोषणा से पहले छुट्टियां मनाने के लिए परिवारसमेत विदेश चली जाएंगी.
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शिंदे की गांधी परिवार से निकटता और अन्य कारण
शिंदे को चुनने के कारण भी स्पष्ट हैं. सबसे पहला तो यही है कि वह गांधी परिवार के विश्वस्त हैं. दूसरे, शिंदे को कभी अति महत्वकांक्षी होते नहीं देखा गया. एक आम धारणा है कि उन्होंने पार्टी के निर्देशों पर कभी अपनी महत्कांक्षाओं को हावी नहीं होने दिया. वह इससे पहले उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रह चुके हैं, तब उन्हें भैरो सिंह शेखावत से चुनौती मिली थी. यही नहीं, जब महाराष्ट्र में उनके और विलासराव देशमुख के बीच मुख्यमंत्री बनने की होड़ शुरू हुई तो पार्टी ने उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बना दिया, लेकिन उन्होंने एक शब्द बोले बगैर यह पद ले लिया. इसके बाद उन्हें कांग्रेस की सरकार में केंद्र प्रमुख पदों पर बुलाया गया.
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर नजर
सुशील कुमार शिंदे महाराष्ट्र के जाने-माने दलित नेता हैं. आने वाले दिनों में सबसे बड़ा चुनाव महाराष्ट्र में ही होने वाला है. साथ ही वे इस बार लोकसभा चुनाव हार गए थे. ऐसे में उनकी पूरी तैयारी विधानसभा चुनावों में उतरने की भी होगी. इतना ही नहीं एनसीपी को कांग्रेस के साथ लाने में उन्हीं प्रमुख भूमिका है. सुशील कुमार शिंदे ही वह शख्स हैं जो आने वाले विधानसभा चुनाव में एनसीपी और कांग्रेस के बीच पुल का काम करेंगे.
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अशोक गहलोत इस कारण दौड़ से हुए बाहर
राहुल गांधी और सोनिया गांधी से अशोक गहलोत की मुलाकातों के बाद यह तय हो पाया कि राहुल गांधी राजस्थान में कोई उठापटक नहीं चाहते हैं. असल में राजस्थान में दोनों पार्टियों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. ऐसे में अगर गहलोत सीएम की गद्दी छोड़ते हैं और सचिन पायलट के युवा हाथों में प्रदेश की कमान आती है तो कुछ विधायकों के टूटने का डर है. यह कदम कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित हो जाएगा. इसलिए राहुल गांधी ने ऐसा करने से मना कर दिया है.
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खड़गे, एंटनी, आजाद के बाहर होने का गणित
संडे गार्जियन की खबर के मुताबिक इस वक्त कांग्रेस में राहुल गांधी के बाद सबसे मजबूत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे हैं. लेकिन उन्होंने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहने के दौरान कई फैसले बिना गांधी परिवार की विश्वास में ले लिए थे. इसी तरह गुलाम नबी आजाद को अध्यक्ष बनाने पर प्रतिद्वंदी पार्टी के लिए एक आसान निशाना देना साबित हो सकता है. क्योंकि हिन्दुत्व कार्ड इन दिनों चरम पर है. एंटनी ने खुद को स्वतः अलग कर लिया है, जनार्दन द्विवेदी ने भी बीते कुछ दिनों से खुद को सक्रिय राजनीति से अलग कर रखा है. ऐसे में पार्टी सुशील कुमार शिंदे पर ही भरोसा जता रही है, जो हर लिहाज से सुरक्षित दांव है.
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