सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा- किस कानून के तहत लगाए गए उपद्रवियों के पोस्टर

इसके बाद बेंच ने यूपी सरकार के बैनर लगाने के फैसले को सही ठहराने के पीछे के आधार से जुड़े सवाल पूछे

इसके बाद बेंच ने यूपी सरकार के बैनर लगाने के फैसले को सही ठहराने के पीछे के आधार से जुड़े सवाल पूछे

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Aditi Sharma
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supreme court( Photo Credit : फाइल फोटो)

लखनऊ में सार्वजनिक सम्पतियों को नुकसान पहुंचाने वाले की तस्वीर लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. SG तुषार मेहता ने कहा, 57 लोग दंगे में शामिल थे. HC का फैसले में निजता के अधिकार की दुहाई दी गई है. अब निजता के अधिकार की सीमाएं है. मसलन अगर लोग इसकी दुहाई देकर मीडिया रिपोर्ट्स में खुद को दिखाए जाने पर ऐतराज करने लग जाये तो क्या होगा.

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इसके बाद बेंच ने यूपी सरकार के बैनर लगाने के फैसले को सही ठहराने के पीछे के आधार से जुड़े सवाल पूछे. जस्टिस ललित ने कहा- अभी ऐसा कोई क़ानून नहीं है, जो आपके बैनर लगाने के इस कदम का समर्थन करता हो. तुषार मेहता ने SC के पुराने फैसले कापुटटास्वामी फैसले का हवाला दिया. उन्होंने कहा - सड़क पर बन्दूक लहराने वालो को निजता के अधिकार की दुहाई नहीं दे सकते.

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कोर्ट ने कहा एक आम नागरिक वो हरकत कर सकता है, जिसकी कानून इजाजत न दे लेकिन सरकार वही कदम उठा सकती है, जिसकी कानून इजाजत दे.आप बताइए कि किस क़ानून के तहत आपने बैनर लगाए. जस्टिस ललित ने कहा  हम आपकी एंग्जाइटी को समझ सकते है, तोड़फोड़ करने वालो पर कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन क्या आप दो कदम आगे जाकर ऐसे कदम उठा सकते है?

SG तुषार मेहता ने कहा, सार्वजनिक सम्पतियों को नुकसान पहुंचाने वाले इन तमाम दंगाइयो की हरकतें मीडिया के कैमरों में कैद हुई है. वो पहले से ही सार्वजनिक है. कैसे ये लोग निजता के अधिकार की दुहाई दे सकते हैं. कोर्ट ने SG तुषार मेहता से पूछा कि क्या इन सब को मुआवजे की भरपाई के लिए दी समयसीमा खत्म हो चुकी है.  तुषार मेहता ने इससे इंकार किया उन्होंने कहा- अभी समयसीमा बची है,  पर इसे भी HC में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए कि हम इस मामले को आगे सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच को भेज सकते है.

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इसके बाद कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने एक IPS अधिकारी की ओर से  दलील रखी. उन्होंने कहा, सरकार और  प्राइवेट व्यक्ति दोनों को अलग अलग करके देखना होगा. मसलन किसी बच्चे के साथ रेप- हत्या के दोषी के ऐसे पोस्टर लगा दिया जाए , फिर तो उसके ज़मानत के छूटने पर उसकी लीनचिंग हो जाएगी. आप उसे lynching से कैसे बचाएंगे. सरकार का मकसद ऐसे पोस्टर के जरिये शर्मिंदा करना हो सकता है, पर इसके चलते lynching की सम्भावन से इंकार नही किया जा सकता.

सिंघवी ने पूर्व IPS दारापुरी की ओर से जिरह की.  पूर्व IPS दारापुरी ने खुद प्रदर्शन में शामिल थे. इसी बीच कॉलिन गोंजाल्विस ने भी बात रखी. कहा, सरकार का फैसला मानवाधिकार का सबसे बड़ा उल्लंघन है. बैनर पर लगी तस्वीर सीधे-सीधे lynching को आमंत्रण है कि भीड़  मेरे घर में घुसकर मुझे , मेरे घरवालो को टारगेट करे

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