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आज से ठीक एक साल पहले 28 और 29 सितम्बर की रात भारतीय सेना के जांबाज़ो ने पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर आतंकियों और उनके ठिकानों को नष्ट कर दिया था।
जम्मू-कश्मीर के उरी में 17 सितम्बर 2016 को श्रीनगर से 100 किलोमीटर दूर जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना ब्रिगेड के हेडक्वार्टर पर आतंकवादियों ने सुबह 5:30 बजे हमला किया। इस हमले में 19 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई और 17 सैनिक घायल हुए थे।
पाकिस्तान की इस कायरता पर देश में गुस्सा था और सरकार पर भी दबाव था जवाबी कार्रवाई करने का। उरी हमले के 11 दिन बाद भारतीय सेना ने पीओके में 3 किलोमीटर अंदर घुसकर 250 किलोमीटर के दायरे में सर्जिकल स्ट्राइक किया और आतंकी शिविरों को नष्ट कर बिना किसी नुकसान के वापस आ गए।
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इस ऑपरेशन में 38 आतंकी मारे गए थे। उनके लॉन्च पैड को खत्म कर दिया गया था।
आइये जानते हैं सेना के जवानों ने उस रात चार घंटे में क्या किया था:-
1. अमावस की रात घुप अंधेरा और भारतीय सेना ने शुरू की सर्जिकल स्ट्राइक। सेना की एलीट कमांडो टीमें पीओके में घुसीं और अंधेरे में गायब हो गईं। पाकिस्तान की सेना या वहां की लोकल पुलिस को भी इनके आने की भनक भी नहीं लगी।
उसी समय 30 पैरा कमांडोज़ को 35,000 फुट की ऊंचाई से पैराशूट्स से उतारा गया। जीपीएस गैजेट्स और अन्य आधुनिक उपकरणों से लैस ये कमांडोज़ ठीक उस जगह उतरे जहां ऑपरेशन किया जाना था।
इनके आने की भी किसी को कोई खबर नहीं लगी। पैरा ट्रूपर कमांडोज़ टेवर-21 और एके-47 असाल्ट राइफल्स के साथ ही रॉकेट प्रोपेल्ड गन्स और रूसी थर्मोबियरिक हथियारों से लैस थे। ये कार्रवाई रात साढ़े चार घंटे 12 बजे से 4:30 बजे तक चली।
2. सर्जिकल सट्राइक करने वाली टीम का नेतृत्व मेजर रोहित सूरी कर रहे थे। 28-29 सितंबर की रात को कमांडोज की टीम पीओके के लिये रवाना हुई।
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3. सर्जिकल स्ट्राइक में गए जवानों को साफ निर्देश था की किसी भी सैनिक या दुर्घटना होने पर किसी की बॉडी वहां छोड़ के नहीं आनी है।
4. भारतीय सेना के जवान ऑपरेशन में आतंकियों के 7 ठिकाने ध्वस्त किये गए। ये लॉन्च पैड आतंकियों को भारतीय सीमा में प्रवेश कराने के लिये इस्तेमाल किये जाते थे। इन पर पिछले एक सप्ताह से निगरानी रखी जा रही थी।
5. कार्रवाई के दौरान नायब सूबेदार विजय कुमार को पहले ही आतंकवादियों पर नजर बनाए रखने के कहा गया था। उन्होंने जान की परवाह किए बैगर दो आतंकियों को मार गिराया।
6. इस ऑपरेशन में कोई भी भारतीय जवान शहीद नहीं हुआ लेकिन एक पैराट्रूपर घायल हुआ था। कार्रवाई के दौरान पैराट्रूपर ने देखा कि दो आतंकी भारतीय सेना की एक टीम पर हमला करने वाले है तो उनका पीछा कर आतंकियों को मार गिराया। लेकिन पीछा करने के दौरान उनका पांव माइन पर पड़ गया जिसके कारण उनका दायां पंजा उड़ गया। लेकिन जान की परवाह किये बगैर ही पैराट्रूपर ने आतंकियों की कोशिश को नाकाम कर दिया।
7. इधर दिल्ली में आधी रात को सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग सहित कई वरिष्ठ अधिकारी पूरी कार्रवाई को मॉनिटर कर रहे थे।
8. इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और डीजीएमओ रणवीर सिंह रात भर जागकर की।
9. भारतीय सेना के जवानों की रणनीति से पाकिस्तान सरकार, पाक सेना और उसकी खुफिया एजेंसी बेखबर रही और सेना के जवान कार्रवाई को अंजाम देकर लौट आए।
10. इसकी जानकारी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री को भी इस सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी दी गयी।
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11. डीजीएमओ रणबीर सिंह ने इसकी जानकारी पूरे देश को दी।
सर्जिकल स्ट्राइक से पहले बनी रणनीति:-
उरी हमले के बाद ही भारत में कार्रवाई की रणनीति बनने लगी थी। भारत के तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग और डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल को भारतीय सेना की तरफ से किये जा सकने वाले विकल्पों की जानकारी दी गई।
पाकिस्तान को आशंका थी कि भारत में सरकार पर इस हमले की बदला लेने के लिये दबाव बन रहा है। ऐसे में पाकिस्तान ने भी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रडार सिस्टम को सक्रिय कर दिया और
23 सितंबर की रात प्रधानमंत्री मोदी साउथ ब्लॉक में भारतीय सेना के वॉर रूम में पहुंचे। सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों और एनएसए डोवाल ने भारत की तरफ से की जाने वाली कार्रवाई का ब्लूप्रिंट की जानकारी दी।
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इस बैठक में रॉ के सेक्रेटरी राजेंदर खन्ना, इंटेलीजेंस ब्यूरो निदेशक दिनेश्वर शर्मा और एनटीआरओ चीफ आलोक जोशी भी मौजूद थे।
बैठक के बाद इसरो को पीओके पर सैटेलाइट से नज़र रखने के लिये कहा गया। भारतीय सेना के ड्रोन से आतंकी ठिकानों और आतंकियों की हरकत पर नज़र रखा जाने लगा।
उधर पाकिस्तान में भी रॉ ने अपने एजेंट्स को सक्रिय कर दिया और रॉ ने निर्देश दिया था कि वो पाक सेना प्रमुख और मुख्यलय पर नजर रखे और उनके मूवमेंट की जानकारी दे। साथ ही नॉर्थन एरिया के फोर्स कमांडर पर भी नज़र रखे।
इधर भारत में सभी बैठकें सीक्रेट रखी जाने लगीं और बैठकों में मोबाइल फोन आदि ले जाने पर मनाही हो गई। दिल्ली से दूर हो रही इन बैठकों की किसी को भी खबर नहीं लगी।
सेना ने एमआई-17 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर्स से भारतीय सेना के कमांडोज़ और सैन्य उपकरणों को एलओसी के पास फॉरवर्ड पोस्ट्स के पास भेज दिया। इसके अलावा नॉर्थन आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा ने 6 बिहार और 10 डोगरा बटालियन्स के घातक कमांडोज़ को तौयार रहने को कहा। उरी हमले में इन्ही बटालियन्स के जवान शहीद हुए थे।
26 सितंबर को सेना की इस कार्रवाई को फाइनट्यून किया गया। एनएसए डोवाल ने सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों और इंटेलीजेंस प्रमुखों के साथ बैठक हुई। इसमें तय किया गया कि 250 किलोमीटर के दायरे में आठ ठिकानों पर एक साथ हमला किया जाए।
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Source : News Nation Bureau