राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व सह-सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि सहकार के बिना समाज का उत्थान संभव नहीं है।
भैयाजी जोशी शनिवार को सहकारिता और भारतीय संस्कृति से जुड़े तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सहकारिता का कार्य अकेले नहीं हो सकता है। यह परस्पर सहयोग से होता है। कहा कि सहकार के बिना समाज का उत्थान संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति अकेले कार्य करना चाहता है, तो समझ लीजिए उसमें अहंकार है। सभी कमियों के साथ आगे बढ़ते समय सबके हाथ में हाथ डालकर चलना होगा। यह सही दिशा की ओर ले जायेगा। गति थोड़ी कम होगी तो भी चलेगा, लेकिन सबको साथ में ही चलना है। गति के संदर्भ में थोड़ा समझौता करना चाहिए। समाज को स्वाहाकार से रोकना ही सहकार है।
जोशी ने कहा कि सहकार को एक संगठन से जोड़कर सकारात्मक लक्ष्य को तय किया है। इस चुनौती को स्वीकार करना ही, समाज के स्वाहाकार की ओर बढ़ने से रोकने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि घर में पूजापाठ के दौरान कई ऐसे कार्य करते हैं, जिनसे वातावरण शुद्ध बने। यानी उपकरणों के माध्यमों से शुद्धता लाते हैं। चेतनायुक्त और शुद्ध उपकरण के माध्यम से होने वाला प्रयास ही संमार्ग पर ले जाने वाला होता है। कार्य आगे बढ़ता जाता बढ़ता जाता है। यह चेतनायुक्त विचार ही बीज रूप में जीवन में विद्यमान रहती है। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। पूर्णता की ओर बढ़ना है तो चेतना को शुद्ध रखना होगा।
उन्होंने कहा कि खुद को छोटे उपकरण के रूप में मनाते हुए जो एक लक्ष्य को लेकर निरंतर चलते आये हैं, वे ही लक्ष्य भेदन करते हैं। सहकारिता, जीवन मे सदैव प्रवाहित रहा है। यह शब्द हमारे लिए नया नहीं है। हम सभी की जीवनचर्या में समाहित रहा है। यदि संस्कार नहीं रहे, तो सहकार स्वाहाकार बन जाता है। हम सहकारी शब्द को पुन: प्रतिष्ठित करने का प्रयास कर रहे हैं।
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Source : IANS