सुप्रीम कोर्ट ने हर राज्य में एक नोडल अफसर नियुक्त करने का निर्देश दिया, जो हर जिले में गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा की घटनाओं पर लगाम लगाना सुनिश्चित करेगा।
कोर्ट ने राज्य में एक सीनियर पुलिस अधिकारी की नियुक्ति का आदेश भी दिया है, जो हाइवे पर भी पेट्रोलिंग सुनिश्चित करेंगे। इस मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने केन्द्र की दलीलों को सुनने के बाद कहा, 'हम जानते हैं कि राज्यों में कानून है, लेकिन अब तक क्या कार्रवाई हुई है? आप एक योजनाबद्ध कार्रवाई कर सकते हैं, जिससे इस तरह के गौरक्षक पैदा न हो'।
CJI Dipak Misra said 'We know laws are there, but what action has been taken? You can take planned action so that vigilantism does not grow'
— ANI (@ANI) September 6, 2017
एडिशनल सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने केन्द्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए सुप्रीम कोर्ट को कहा कि किसी भी तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए राज्यों में कानून है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के डीजीपी और चीफ सेक्रेट्री से कहा कि वो हिंसा पर लगाम लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल कर बताये। हालिया दिनों में बढ़ी हिंसा पर लगाम कसने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने यह सख्त कदम उठाया है।
Supreme Court asks each state to appoint a senior police officer in each district as nodal officer to take action against cow vigilantism
— ANI (@ANI) September 6, 2017
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'केन्द्र और राज्य सरकारों को गौरक्षकों को कानून अपने हाथ में लेने के खिलाफ कड़ा और आवश्यक कदम उठाने को कहा है।'
SC also said Central and state governments must take effective steps to stop cow vigilante groups from taking law in their hands
— ANI (@ANI) September 6, 2017
गौरक्षको की हिंसा पर लगाम लगाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस ए एम खानविलकर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आप लोग जानते हैं कि कुछ दिन पहले एक बड़ी सँख्या में पशु मारे गए है, आपको उसके खिलाफ भी याचिका दायर करनी चाहिए।
इससे पहले की सुनवाई में सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस एम. शांतनागौदर की पीठ से कहा, 'हम गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा का समर्थन नहीं करते।'
आपको बता दें कि इस साल राजस्थान के अलवर, झारखंड के रामगढ़, गुजरात और कई अन्य बीजेपी शासित राज्यों में हिंसा की घटनाएं की सामने आई, जिसमें कई लोग मारे भी गए थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट हिंसा को रोकन के लिए डाले गए विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा का कई बार विरोध कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद लगातार आए दिन हिंसा और हत्या की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
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Source : News Nation Bureau