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5 अलग-अलग धर्मो के जजों की पीठ, जिसने तीन तलाक पर दिया ऐतिहासिक फैसला

पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने दो के मुकाबले तीन मतों से दिए अपने फैसले में कहा कि तीन तलाक को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त नहीं है।

Updated on: 22 Aug 2017, 07:55 PM

highlights

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, तीन तलाक इस्लाम का मौलिक रूप से हिस्सा नहीं है
  • सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों की संवैधानिक पीठ ने तीन तलाक को बताया असंवैधानिक

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अपने ऐतिहासिक फैसले में 1,400 साल पुरानी तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। मामले की संवेदशीलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जिस पीठ का गठन किया था उसमें शामिल पांचों जजों के धर्म अलग-अलग थे। 

चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर सिख समुदाय से ताल्‍लुक रखने वाले देश के पहले चीफ जस्टिस हैं। वह इस पीठ की अगुवाई कर रहे थे। इसके अलावा पीठ में शामिल जस्टिस कुरियन जोसफ, ईसाई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जबकि रोहिंग्‍टन फली नरीमन (पारसी) तो जस्टिस उदय उमेश ललित, हिंदू समुदाय से आते हैं। वहीं जस्टिस एस अब्‍दुल नजीर मुस्लिम समुदाय से आते हैं।

पीठ में जस्टिस यू ललित को छोड़कर सभी जज अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं। 

संवैधानिकी पीठ के दो जजों, जस्टिस खेहर और जस्टिस नजीर तीन तलाक को जहां बनाए रखने के पक्ष में थे वहीं बाकी तीन जजों ने इस प्रथा को असंवैधानिक घोषित करने का फैसला लिया।

सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह 'इस्लाम का हिस्सा नहीं' है। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने दो के मुकाबले तीन मतों से दिए अपने फैसले में कहा कि तीन तलाक को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त नहीं है।

जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा, 'तीन तलाक इस्लाम का मौलिक रूप से हिस्सा नहीं है, यह कानूनी रूप से प्रतिबंधित और इसे शरियत से भी मंजूरी नहीं है।'

तीन जजों ने कहा, 'तीन तलाक सहित कोई भी प्रथा जो कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ है, अस्वीकार्य है।'

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अधिवक्ता सैफ महमूद ने बताया, 'जस्टिस नरीमन ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह 1934 के कानून का हिस्सा है और इसकी संवैधानिकता की जांच होनी चाहिए।'

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प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने 365 पेज के फैसले में कहा, '3:2 के बहुमत से दर्ज की गई अलग-अलग राय के मद्देनजर तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) को निरस्त किया जाता है।'

वहीं, चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने कहा कि तीन तलाक इस्लामिक रीति-रिवाजों का अभिन्न हिस्सा है और इसे संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। जस्टिस खेहर ने अपने फैसले में संसद से इस मामले में कानून बनाने की अपील की।

उन्होंने अगले छह माह के लिए तीन तलाक पर रोक लगा दी। साथ ही जस्टिस खेहर ने कहा, 'राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक मतभेदों को अलग रखकर केंद्र सरकार को तीन तलाक पर कानून बनाने में सहयोग करें।'

तीन तलाक से पीड़ित शायरा बानो ने तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी। जिसपर 11 से 18 मई तक रोजाना सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया।

आपको बता दें की तीन तलाक पर फैसला इसलिए भी खास है कि सुनवाई के लिए पांच अलग मजहबों के पांच जजों की संविधान पीठ गठित की गई थी।

चीफ जस्टिस जेएस खेहर: सिख समुदाय के जस्टिस खेहर 27 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। इससे ठीक पहले उन्होंने तीन तलाक पर फैसला सुनाया है। वह पहले सिख चीफ जस्टिस हैं।

जस्टिस एस अब्दुल नजीर: जस्टिस नजीर मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। वह इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बने थे।

जस्टिस कुरियन जोसफ: जस्टिस जोसफ केरल के क्रिश्चिएन समुदाय से ताल्‍लुक रखते हैं। वह 2013 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने।

रोहिंग्‍टन फली नरीमन: पारसी सुमदाय के जस्टिस नरीमन 2014 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। वह पश्चिमी शास्‍त्रीय संगीत में रुचि रखने वाले और इसके गहन जानकार हैं।

जस्टिस उदय उमेश ललित: हिंदू समुदाय के जस्टिस ललित 2014 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने। वह अप्रैल, 2004 में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट बने थे। 2जी घोटाला मामले में सीबीआई की तरफ से विशेष अभियोजक रहे।

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