logo-image

Shivsena Row: नाम-निशान की लड़ाई के बीच उद्धव ठाकरे को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने उठाया ये कदम

शिवसेना के नाम और निशान को लेकर छिड़ी जंग के बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बड़ी राहत मिली है.

Updated on: 21 Feb 2023, 12:00 PM

highlights

  • उद्धव ठाकरे को  नाम-निशान की जंग में मिली बड़ी राहत
  • सुप्रीम कोर्ट EC के खिलाफ उद्धव की शिकायत पर सुनवाई को राजी
  • एकनाथ शिंदे पहले ही दाखिल कर चुके हैं कैविएट 

New Delhi:

Shivsena Name And Symbol Row: शिवसेना के नाम और निशान को लेकर छिड़ी जंग के बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बड़ी राहत मिली है. दरअसल चुनाव आयोग की ओर से शिवसेना नाम और पार्टी के चुनाव चिन्ह पर सीएम एकनाथ शिंदे के दावे को सहमति दिए जाने के बाद से महाराष्ट्र की सियासत में हलचल शुरू हो गई है. शिंदे गुट लगातार शिवसेना पर अपने दावे को मजबूत करते जा रहे हैं तो वहीं उद्धव ठाकरे अब पार्टी के अस्तित्व को लेकर ही जूझ रहे हैं. इस बीच हर किसी की नजर इस बात पर थी कि क्या देश की सर्वोच्च अदालत उद्धव ठाकरे की अपील पर सुनवाई करेगी.  शीर्ष अदालत से उद्धव ठाकरे को बड़ी राहत मिली है और सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव की शिकायत पर सुनवाई करने के लिए हामी भर दी है. 

दरअसल उद्धव ठाकरे के पार पार्टी के नाम और निशान को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट बड़ा सहारा है. ऐसे में उद्धव ने पहले ही ये साफ कर दिया था कि, वो हार मानने वाले नहीं है और आने वाले दिनों में वो अपनी पार्टी के नाम और निशान के लिए देश की सर्वोच्च अदालत का भी दरवाजा खटखटाएंगे. 

उद्धव ने ऐसा ही किया और सुप्रीम कोर्ट में शिकायत पर सुनवाई की अर्जी लगाई. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. सोमवार को भी उद्धव अपनी शिकायत लेकर शीर्ष अदालत पहुंचे थे, हालांकि कोर्ट ने उन्हें 22 फरवरी को आने के लिए कहा था. अब बुधवार को दोपहर 3 बजे बाद उद्धव की शिकायत पर सुनवाई होगी. 

यह भी पढ़ें - हिंदुत्व की राह से मिलेगी उद्धव को मंजिल! क्यों छिना नाम-निशान, आगे क्या हैं विकल्प

 

सीएम शिंदे पहले ही उठा चुके ये कदम 
शिवसेना के नाम और निशान पर अपना दावा सिद्ध करने वाले महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने उद्धव के कदम से पहले ही एक बड़ा कदम उठा लिया था. शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कैविएट दाखिल कर लिया था. क्योंकि उन्हें पता था कि चुनाव आयोग से मंजूरी मिलने के बाद उद्धव ठाकरे शीर्ष अदालत का ही रुख करेंगे. लिहाजा उन्होंने कैविएट दाखिल कर दी थी. कैविएट का मतलब होता है कि, सुप्रीम कोर्ट बिना शिंदे गुट की बात सुने उद्धव की शिकायत पर एकतरफा फैसला नहीं ले सकता है.