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सांकेतिक चित्र.
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सांकेतिक चित्र.
आमतौर पर कानूनी मसलों में पूर्ववर्ती मामलों की नजीर देकर ही जिरह-बहस की जाती है. हालांकि एक जैसा मामला होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में आईएनएक्स मीडिया से जुड़े मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की अर्जी पर तुरंत सुनवाई से इंकार कर दिया गया. चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल बार-बार पूर्ववर्ती मामले का हवाला देकर इस मामले में भी सुनवाई का अनुरोध करते रहे, लेकिन जस्टिस एनवी रमन ने मामले में तुरंत सुनवाई से साफ-साफ इंकार कर दिया.
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बिना लिस्टिंग सुनवाई से इंकार
जस्टिस रमन सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जजों में से एक हैं. लगभग हफ्ते भर पहले यानी 16 अगस्त को उन्होंने बिना लिस्टिंग के ऐसे ही एक केस पर सुनवाई की थी. उस वक्त भी चीफ जस्टिस अयोध्या मामले की सुनवाई में व्यस्त थे. बुधवार को कपिल सिब्बल चाह रहे थे कि चिदंबरम की गिरफ्तारी पर रोक लगे, लेकिन जज रमन ने कहा, 'मैं कैसे बिना लिस्ट किए इस केस पर सुनवाई कर सकता हूं. ये नहीं हो सकता.' जस्टिस रमन की दलील थी कि चीफ जस्टिस इन दिनों अयोध्या मामले पर सुनवाई कर रहे हैं और वे ही इस मामले पर कोई फैसला ले सकते हैं.
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यह थी नजीर
ये मामला भूषण स्टील के पूर्व सीएफओ और डायरेक्टर नितिन जौहरी का था. गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय ने इस साल मई में उन्हें गिरफ्तार किया था. उन पर कंपनी के खातों और वित्तीय ब्यौरों में हेर-फेर समते कई फर्जीवाड़े के आरोप थे, लेकिन 14 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी. इसके बाद 16 अगस्त को एसएफआईओ ने उनकी ज़मानत पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. इसके बाद जस्टिस रमन ने केस को बिना लिस्ट किए उस पर सुनवाई की. एसएफआईओ ने दलील दी कि अगर जौहरी को जमानत मिल जाती है तो वह फिर विदेश भाग सकते हैं.
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सिब्बल ने दिया इस केस का हवाला
कपिल सिब्बल ने बुधवार को भी जस्टिस रमन को उनके ही इस फैसले की याद दिलाई और कहा कि वह इसी आधार पर मामले की तुरंत सनवाई करे, लेकिन जस्टिस रमन ने उनकी इस दलील को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, 'वह एक अलग केस था. आरोपी जौहरी विदेश भाग सकता था.' संभवतः यही वजह है कि गुरुवार को कपिल सिब्बल ने ढंके-छिपे शब्दों में जस्टिस रमन पर भी निशाना साधा.
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