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अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई का रास्ता साफ, मुस्लिम पक्षकारों की मांग खारिज, इस्माइल फारूकी मामले पर नहीं होगा पुनर्विचार

इसके साथ ही कोर्ट ने अयोध्या मामले की आगे की सुनवाई का रास्ता साफ कर दिया है.

Updated on: 27 Sep 2018, 04:49 PM

नई दिल्ली:

अयोध्या मामले से जुड़े 1994 के इस्माइल फारूकी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 2-1 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया. इसके मुताबिक अब ये मामला बड़ी बेंच को नहीं जाएगा. इसके साथ ही कोर्ट ने अयोध्या मामले की आगे की सुनवाई का रास्ता साफ कर दिया है.

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# एक चैनल पर इंटरव्यू देते हुए बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब राम मंदिर की सुनवाई आगे बढ़ सकेगी. इसके साथ ही राम मंदिर मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.

# वीएचपी कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि हम इस फैसले से संतुष्ट है, इस मामले की जल्द सुनवाई होनी चाहिए. 5 अक्टूबर को वीएचपी की बैठक होगी.

देश को हर धर्म को एक समान मानना होगा : सुप्रीम कोर्ट

# दो जजों के बहुमत से मस्जिद में नमाज का मामला संवैधानिक पीठ में नहीं जाएगा

#जस्टिस नजीर ने कहा कि इस मामले को संवैधानिक पीठ को सौंपा जाना चाहिए. इसके बाद इस पर फैसला आने पर अयोध्या मामले का फैसला आना चाहिए. 

अयोध्या मामले पर 29 अक्टूबर से सुनवाई शुरू होगी

#मस्जिद में नमाज़ का मामला संवैधानिक पीठ के पास नहीं भेजा जाएगा

मामले को बड़ी बेंच में भेजने के पक्ष में नहीं दो जज

# जस्टिस नजीर साथी जजों की बात से सहमत नहीं

# जस्टिस भूषण ने कहा- 1994 के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं

जस्टिस फारुकी फैसले को सिर्फ एक वाक्य में न समझा जाए : कोर्ट

# फारुकी केस का असर टाइटल सूट पर नहीं

इस्माइल फारुकी फैसले पर पुर्नविचार की ज़रूरत नहीं : कोर्ट

इस टिप्पणी का कोर्ट में लंबित मुख्य भूमि विवाद से वास्ता नहीं है.

जस्टिस अशोक भूषण ने आगे कहा-इस्माइल फारुकी फैसले में कोर्ट ने माना था कि मंदिर, मस्ज़िद, चर्च को ज़रुरत पड़ने पर सरकार अधिग्रहण कर सकती है

जस्टिस अशोक भूषण ने कहा- इस्माइल फारूकी के मसले में टिप्पणी महज जमीन के अधिग्रहण तक ही सीमित थी, उसे वैसे ही देखा जाए

जस्टिस अशोक भूषण ने कहा-  हर फैसला अलग हालात में होता है

# तीन जजों की बेंच सुना रही है फैसला

अभी इस्माइल फारुकी के जजमेंट का जिक्र हो रहा है

# जस्टिस अशोक भूषण पढ़ रहे हैं फैसला

# सुप्रीम कोर्ट ने फैसला पढ़ना शुरु किया 

#जस्टिस अशोक भूषण, अपना और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का फैसला सुनाएंगे. जबकि जस्टिस नजीर अपना फैसला अलग पढ़ेंगे.

# तीन जजों की बेंच में दो जज पढ़ेंगे अलग-अलग फैसला

# बाबरी पैरोकार बेवजह कोर्ट का वक्त जाया करने के लिए इस पुराने मामले को बीच में लेकर आए है, लेकिन आज कोर्ट के जरिए तस्वीर साफ होने की उम्मीद है कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का हिस्सा है या नहीं : वसीम रिजवी ।

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दरअसल, मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दलील दी गई है कि 1994 में इस्माइल फारुकी केस में सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने अपने जजमेंट में कहा है कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है और ऐसे में इस फैसले को दोबारा परीक्षण की जरूरत है और इसी कारण पहले मामले को संवैधानिक बेंच को भेजा जाना चाहिए.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखा था कि संविधान पीठ के इस्माइल फारूकी (1994) फैसले को बड़ी बेंच को भेजने की जरूरत है या नहीं.

क्या है इस्माइल फारूकी केस
5 दिसंबर 2017 को जब अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू हुई थी. तब इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे महज जमीन विवाद माना था. लेकिन मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश राजीव धवन ने कहा कि नमाज पढ़ने का अधिकार है और उसे बहाल किया जाना चाहिए.

धवन ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने 1994 में दिए फैसले में कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है. इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला 1994 के जजमेंट के आलोक में था और 1994 के संवैधानिक बेंच के फैसले को आधार बनाते हुए फैसला दिया था जबकि नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग है और जरूरी धार्मिक गतिविधि है और ये इस्लाम का अभिन्न अंग है.

अदालत ने कहा है कि मामले में कोर्ट इस पहलू पर फैसला लेगा कि क्या 1994 के सुप्रीम कोर्ट से संवैधानिक बेंच के फैसले को दोबारा देखने के लिए मामले को संवैधानिक बेंच भेजा जाए या नहीं. इसी मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अभी फैसला सुरक्षित किया है.

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