सुप्रीम कोर्ट में भी आज भी आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को लेकर बहस हुई।
आधार बनाने वाली संस्था यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि कोर्ट को आधार कार्ड को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी कानून नहीं है, जो खामी रहित हो।
द्विवेदी ने कहा कि अगर कोर्ट को कानून में कुछ खामी नजर आती है, तो कुछ शर्तें तय की जा सकती हैं, लेकिन याचिकाकर्ता के आरोपों को बुनियाद बनाते हुए कानून को खारिज नहीं किया जा सकता।
संविधान पीठ ने पूछा कि जब आधार के जरिये ट्रांजैक्शन करते है तो हर बार एक मेटा डेटा क्रिएट हो जाती है और अगर इसको एक जगह इकट्टा कर लीजिए तो एक व्यक्ति की पूरी जानकारी एक साथ एक्सेस की जा सकती है, जिससे उसकी निगरानी और संबंधित जानकारी का गलत इस्तेमाल हो सकता है?
कोर्ट ने पूछा कि भले ही आप बॉयोमेट्रिक रिकॉर्ड किसी दूसरे को नहीं देते लेकिन, डेटा सुरक्षा के लिए क्या अतिरिक्त उपाय किए गए हैं?
इस पर द्विवेदी ने कहा कि आप बहुत ज़्यादा आगे जाकर (कल्पनाशील होकर) एक साधारण एक्ट को परख रहे है। उन्होंने कहा कि शत प्रतिशत कोई भी चीज खामी रहित नहीं है और इस कानून का परीक्षण भी वाजिब आधार होना चाहिये।
द्विवेदी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि आधार कार्ड नहीं होने की वजह से लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
उन्होंने कहा कि आधार एक्ट के सेक्शन 7 में इसका प्रावधान किया गया है, जो यह बताता है कि आधार कार्ड नहीं होने की वजह से किसी को सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं से वंचित नहीं रखा जा रहा है।
हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि आधार कार्ड बनाया ही ना जाये।
आधार देश भर में स्वीकार्य पहचान पत्र है, किसी भी राज्य का निवासी, दूसरे राज्य में बतौर पहचान पत्र इसे इस्तेमाल कर सकता है।
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HIGHLIGHTS
- आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में आज भी हुई बहस
- UIDAI की तरफ से पेश वकील ने इस बात से इनकार किया कि आधार की वजह से लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है
Source : News Nation Bureau