सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को निर्भया बलात्कार मामले में सजा सुनाएगा। कोर्ट दोपहर बाद दो बजे इस मामले में सजा सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि आरोपियों को निचली अदालत में मिली फांसी की सजा बरकरार रखी जाए या नहीं।
3 जजों जस्टिस दीपक मिश्रा, आर बानुमती और अशोक भूषण की पीठ इस मामले की सुनवाई पूरी कर चुकी है। जस्टिस दीपक मिश्रा और आर बानुमती इस मामले में अलग-अलग फैसला सुनाएंगे। इस साल 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, एमिकस क्यूरी और दोषियों के वकीलों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में चलती बस में निर्भया का सामूहिक बलात्कार किया गया था। बाद में इलाज के दौरान सिंगापुर के अस्पताल में निर्भया की मौत हो गई थी।
पुलिस ने इस मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया था। लेकिन एक आरोपी राम सिंह ने जहां तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी वहीं एक अन्य नाबालिग आरोपी को अदालत ने 3 साल की सजा सुनाते हुए सुधार गृह भेज दिया था।
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बाकी बचे चारो आरोपियों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी। हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया था, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा था।
दोषियों की ओर से पेश वकील एपी सिंह और एमएल शर्मा ने कहा कि इस मामले में दोषियों की उम्र, पारिवारिक पृष्ठभूमिक और परिस्थितियों को देखते हुए इन्हें फांसी की सजा नहीं दी जानी चाहिए और उन्हें सुधार का एक मौका दिया जाना चाहिए।
हालांकि दिल्ली पुलिस के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि तिहाड़ जेल की रिपोर्ट भी तस्दीक करती हैं कि जेल के अंदर इनका बर्ताव अच्छा नही रहा है।
इस मामले में अदालत ने सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन और संजय हेगड़े को एमिकस क्यूरी नियुक्ति किया। दोनों ने अपनी दलीलों में दोषियों को फांसी की सजा में रियायत की मांग की थी।
संजय हेगड़े का कहना था कि हालांकि इसमें मामले में गुनाह बहुत गंभीर था, लेकिन क्या इसके जवाब में चार लोगों की ज़िंदगी ली जा सकती हैं।
वहीं संजय हेगड़े के मुताबिक इस मामले में पुलिस की ओर से रखे गए सबूत दोषियों को फांसी की सज़ा दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने कहा था कि दोषियों को जीवन भर जेल में रखने की सजा एक ऑप्शन हो सकता है।
दिल्ली पुलिस की दलील
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने दलील दी थी कि इन चारों दोषियों ने बर्बर कृत्य किया है। इसलिए इन्हें फांसी की सजा ही दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सजा में कोई रियायत नहीं होनी चाहिए और अदालत को फैसला देते वक्त इस वारदात के ना केवल पीड़ित लड़की पर बल्कि पूरे समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में अपील
गैंग रेप के चारों दोषियों अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश को साकेत कोर्ट ने 13 सितंबर 2013 को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे हाइकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। इसके बाद आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
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HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को निर्भया बलात्कार मामले में सजा सुनाएगा। कोर्ट दोपहर बाद दो बजे इस मामले में सजा सुनाएगा
- 3 जजों जस्टिस दीपक मिश्रा, आर बानुमती और अशोक भूषण की पीठ इस मामले की सुनवाई पूरी कर चुकी है
- जस्टिस दीपक मिश्रा और आर बानुमती इस मामले में अलग-अलग फैसला सुनाएंगे
Source : News Nation Bureau