क्या ‘रेवड़ी कल्चर’ पर लगेगी लगाम? आज SC में जनहित याचिका पर होगी सुनवाई
भाजपा नेता और वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने रेवड़ी कल्चर पर पाबंदी लगाने की मांग की है. इस मामले में पिछली बार 26 जुलाई को सुनवाई हुई थी
highlights
- वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने 'रेवड़ी कल्चर' पर पाबंदी लगाने की मांग की
- मामले में पिछली बार 26 जुलाई को सुनवाई हुई थी
- सांसद कपिल सिब्बल से भी इस पर राय जाहिर करने को कहा
नई दिल्ली:
देश में राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले अपने मतदाता को रिझाने के लिए कई तरह की घोषणाएं करती हैं. इस दौरान मुफ्त बांटने का प्रचलन बढ़ जाता है. इसे आम भाषा में ‘रेवड़ी कल्चर’ कहा जाता है. इन मुफ्त उपहारों के वादे पर किस तरह से लगाम लगाई जाए, इसे लेकर आज एक बार दोबारा से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. इससे पहले जनवरी में इस मुद्दे को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी. भाजपा नेता और वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने 'रेवड़ी कल्चर' पर पाबंदी लगाने की मांग की है. इस मामले में पिछली बार 26 जुलाई को सुनवाई हुई थी. उस समय सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग पर तल्ख टिप्पणी की. सीजेआई एनवी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि अगर चुनाव आयोग मुफ्त में सामान बांटने वाली पार्टियों का कुछ नहीं कर सकती तो फिर उसे भगवान ही बचा पाएगा. SC ने चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा किए गए ‘तर्कहीन मुफ्त उपहारों’ के वादे को ‘गंभीर’ बताया था.
‘ये बेहद गंभीर मामला’
पिछली बार सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने इसे गंभीर मुद्दा बताया था. इसके साथ सीजेआई ने केंद्र सरकार से मौजूदा हालात पर लगाम लगाने को लेकर कदम उठाने को कहा. चुनाव आयोग की ओर से वकील ने अदालत को बताया कि मुफ्त उपहार और चुनावी वादों से संबंधित नियमों को आदर्श आचार संहिता में जोड़ा गया है. मगर इस पर बैन लगाने के लिए सरकार को कड़े कानून बनाने होंगे.
सरकार से किसी निर्णय की उम्मीद नहीं: सिब्बल
अदालत ने सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील और सांसद कपिल सिब्बल से भी इस पर राय जाहिर करने को कहा था. सिब्बल ने कहा था कि ये बेहद गंभीर मामला है. उन्होंने तर्क देते कहा कि ये मामला राजनीतिक है, इसलिए सरकार से किसी निर्णय की उम्मीद नहीं करी जा सकती है. सिब्बल ने कहा कि इस मामले में वित्त आयोग को बुलाना चाहिए.
केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा
गौरतलब है कि इस वर्ष जनवरी में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने केंद्र और चुनाव आयोग दोनों से इस मामले को लेकर जवाब मांगा था. अब दोनों ओर से जवाब मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी रही. याचिका में बात रखी गई है कि मतदाताओं से लाभ लेने के लिए इस तरह की लोकलुभावन रणनीति पर पांबदी लगनी जरूरी है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी