निर्भया के दोषी मुकेश की अर्जी पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, फांसी टालने का नया पैंतरा
निर्भया के गुनहगारों (Nirbhaya Convicts) की फांसी को टालने की नई-नई कवायद जारी है. न्याय मित्र (Amicus Curiae) की ओर से दया याचिका पर साइन करने का दबाव बनाने वाली मुकेश की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सुनवाई को राजी हो गया है.
highlights
- मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में न्याय मित्र पर दबाव बना साइन लेने का आरोप लगाया.
- इसके पहले पवन ने मंडावली जेल में मारपीट पर एफआईआर की अर्जी दाखिल की.
- विनय भी अपनी फांसी की सजा को उम्र कैद मं बदलने की मांग कर चुका है.
नई दिल्ली:
निर्भया के गुनहगारों (Nirbhaya Convicts) की फांसी को टालने की नई-नई कवायद जारी है. न्याय मित्र (Amicus Curiae) की ओर से दया याचिका पर साइन करने का दबाव बनाने वाली मुकेश की एक और अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सुनवाई को राजी हो गया है. मुकेश के वकील की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि निर्भया के दोषी मुकेश को हाई कोर्ट के आदेश के सात दिनों के भीतर क्यूरेटिव पिटीशन (Curative Petition) और दया याचिका पर गलत जानकारी देकर दबाव में हस्ताक्षर कराए गए. ऐसे में मुकेश को नए सिरे से क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका (Mercy Plea) दायर करने की अनुमति दी जाए. वकील का कहना है कि इसके लिए तीन साल का समय दिया जाता है.
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जुलाई 2021 तक की मोहलत मांगी
मुकेश के वकील एम. एल. शर्मा की ओर से बीते हफ्ते दायर याचिका में कहा गया है कि पुनर्विचार याचिका खारिज होने के तीन साल के भीतर क्यूरेटिव पिटीशन दायर की जा सकती है. ऐसे में मुकेश की न्याय मित्र वृंदा ग्रोवर ने उन्हें गलत जानकारी देते हुए कहा कि अदालती आदेश के तहत डेथ वारंट जारी होने के हफ्ते भर के भीतर क्यूरेटिव पिटीशन दायर की जाना जरूरी है. गौरतलब है कि मुकेश की रिव्यू पिटीशन जुलाई 2018 में खारिज कर दी गई थी. ऐसे में मुकेश के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि उसके मुवक्किल को जुलाई 2021 तक क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका दायर करने की अनुमति दी जाए.
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पवन भी चल चुका है पैंतरा
इसके पहले गुरुवार को फांसी की सजा टालने के लिए निर्भया के एक और दोषी पवन की मंडावली जेल में पिटाई के मामले में दोषी पुलिसवालों पर एफआईआर की मांग वाली अर्जी पर कड़कड़डूमा अदालत ने 8 अप्रैल तक तिहाड़ जेल प्रशासन से कार्यवाही रिपोर्ट तलब की है. हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस आदेश का असर निर्भया के दोषियों की फांसी की सजा पर कतई नहीं पड़ेगा. पवन ने अपनी अर्जी में कहा था कि दो पुलिस कर्मियों ने उसे बुरी तरह से मारा था, जिससे उसके सिर में टांके आए थे.
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20 मार्च को होनी है फांसी
इस लिहाज से देखें तो निर्भया के गुनहगारों के कानूनी दांव-पेच अब भी जारी हैं. गौरतलब है कि गैंगरेप और हत्या मामले के चारों दोषियों के कानूनी और संवैधानिक विकल्प खत्म हो जाने के बाद दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें 20 मार्च की सुबह 5:30 बजे फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया हुआ है. उससे पहले दोषी अलग-अलग तरीके अपनाकर फांसी से बचने की कोशिश कर रहे हैं.
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