सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे Vs एकनाथ शिंदे, MLAs की अयोग्यता पर सुनवाई आज
महाराष्ट्र की राजनीति के लिए सुप्रीम कोर्ट में आज अहम दिन है. आज उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. अगर सुप्रीम कोर्ट शिंदे गुट के विधायकों की सदस्यता...
highlights
- सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना Vs शिवसेना
- बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग
- दोनों ही गुटों की तरफ से दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र की राजनीति के लिए सुप्रीम कोर्ट में आज अहम दिन है. आज उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. अगर सुप्रीम कोर्ट शिंदे गुट के विधायकों की सदस्यता पर नकारात्मक फैसला सुनाता है, तो शिंदे की सरकार खतरे में पड़ सकती है. सिर्फ सरकार ही क्यों, खुद शिंदे की कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी. ऐसे में महाराष्ट्र के साथ पूरे देश की नजर सुप्रीम कोर्ट पर है कि वो एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की सदस्यता पर क्या फैसला सुनाता है.
सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं पर सुनवाई
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की तरफ से कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इन सभी मामलों पर एक साथ बुधवार को सुनवाई होगी. शिवसेना नेता सुभाष देसाई ने कहा, ‘याचिकाकर्ता राज्यपाल की 30 जून, 2022 की असंवैधानिक और अवैध कार्रवाई को चुनौती दे रहा है, जिसमें प्रतिवादी संख्या 4 (एकनाथ शिंदे) को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के लिए आमंत्रित किया गया…’ सुभाष देसाई की तरफ से अधिवक्ता अनीश शाह ने ये याचिका दाखिल की है. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि शिवसेना के बागी विधायक अयोग्य होंगे या नहीं.
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पार्टी से बगावत करने वालों हो कार्रवाई
दरअसल, याचिका में ये बात साफ तौर पर कही गई है कि पार्टी के नेता उद्धव ठाकरे हैं. अन्य पदाधिकारियों की लिस्ट चुनाव आयोग के पास है. पार्टी की बैठकों और फैसलों के बारे में चुनाव आयोग को जानकारी दी जाती रही है. ऐसे में इन विधायकों ने पार्टी विरोधी कामों को अंजाम दिया है और असंवैधानिक तरीके से उद्धव ठाकरे की सरकार को गिराया है. ऐसे में इनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए. यही नहीं, याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि राज्यपाल के एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आंमत्रित करने के फैसले को रद्द किया जाए. इसके साथ ही उन सभी बदलावों को रद्द किया जाए, जो बदलाव शिंदे की अगुवाई में किए गए हैं, चाहे वो नए विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हो, या कोई अन्य फैसला.
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