सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में सहयोग के लिए हिंदू-मुस्लिम पक्षों के वकीलों की जमकर प्रशंसा की

न्यायालय ने कहा कि हम के. पराशरण और डॉ. राजीव धवन और बहस करने वाले अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं को उनकी सहायता के लिए धन्यवाद देते हैं

न्यायालय ने कहा कि हम के. पराशरण और डॉ. राजीव धवन और बहस करने वाले अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं को उनकी सहायता के लिए धन्यवाद देते हैं

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद विवाद में हिंदू पक्ष की ओर से बहस करने वाले 92 वर्षीय पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता के पराशरण, वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन और मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से पेश होने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन की उनके योगदान के लिए शनिवार को जमकर प्रशंसा की. शीर्ष अदालत ने कहा कि इन्होंने मामले की जटिलता की परतों को खोलने में एक मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की और अदालत को 1,045 पन्नों के फैसले तक पहुंचने में मदद की. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि इन वकीलों की विद्वता, उनकी मेहनत, दृष्टि और इन सबसे ऊपर अदालत के अधिकारियों के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन करने में निष्पक्षता की प्रशंसा की जानी चाहिए.

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न्यायालय ने कहा, ‘‘हम के. पराशरण और डॉ. राजीव धवन और बहस करने वाले अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं को उनकी सहायता के लिए धन्यवाद देते हैं. सभी ने सुनवाई को पूरा करने में मदद की और इसी भावना के साथ सभी पक्ष आखिरकार सच्चाई और न्याय की खोज में लगे रहे.’’ पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर शामिल थे. पीठ ने सीएस वैद्यनाथन, एसके जैन, रंजीत कुमार, ज़फरयाब जिलानी, मीनाक्षी अरोड़ा, शेखर नफाड़े, विकास सिंह और पीएस नरसिम्हा सहित अन्य वरिष्ठ वकीलों की भी सराहना की. 

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