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प्रतीकात्मक तस्वीर
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प्रतीकात्मक तस्वीर
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को अयोध्या मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई शुरू होते ही हिन्दू पक्षकार गोपाल सिंह विशारद की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट के परासरन ने कोर्ट से जल्द सुनवाई की तारीख तय करने की मांग की. उन्होंने कोर्ट से कहा कि अगर समझौता हो भी जाता है तो उसे कोर्ट की मंजूरी जरूरी होगी. दूसरी ओर मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने कहा कि यह मध्यस्थता प्रकिया की आलोचना करने का वक़्त नहीं है. दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.
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राजीव धवन ने मध्यस्थता प्रकिया पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करने की मांग की. दूसरी ओर निर्मोही अखाड़ा ने भी कहा कि मध्यस्थता प्रकिया सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है. इससे पहले अखाड़ा मध्यस्थता प्रकिया के पक्ष में था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल से स्टेटस रिपोर्ट तलब की. 18 जुलाई तक मध्यस्थता पैनल को रिपोर्ट देनी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कमेटी बोलेगी तो हम 25 से सुनवाई शुरू कर देंगे.
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में मध्यस्थता पैनल गठित कर मार्च में आठ हफ्ते का समय दिया था. 6 मई को पैनल के अनुरोध पर 15 अगस्त तक समय बढ़ा दिया. इस बीच मंदिर पक्षकारों ने भी गैर विवादित जमीन पर निर्माण कार्य शुरू करने की मंज़ूरी देने की याचिका लगाई थी. मूल याचिकाकर्ताओं में से एक गोपाल सिंह विशारद ने मंगलवार को कोर्ट को बताया कि मध्यस्थता से ठोस सफ़लता नहीं मिल रही है. लिहाजा पैनल को भंग कर मूल मामले की सुनवाई शुरू की जानी चाहिए. कोर्ट ने विशारद के अनुरोध पर आज सुनवाई करने की बात कही थी.
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Source : News Nation Bureau