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सुप्रीम कोर्ट ने 2 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की सीबीआई जांच की मांग पर मांगा जवाब

जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस बी.आर. गवई ने राज्य सरकार को मृतक भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार के भाई बिस्वजीत सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया.

Updated on: 19 May 2021, 12:14 AM

highlights

  • याचिकाकर्ताओं ने कहा यह राज्य प्रशासन के इशारे पर था
  • शीर्ष अदालत ने कहा, "हम नोटिस जारी करते हैं. इसे राज्य को दें

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा में दो भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को राज्य सरकार से जवाब मांगा. जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस बी.आर. गवई ने राज्य सरकार को मृतक भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार के भाई बिस्वजीत सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिनकी कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी और सह-याचिकाकर्ता स्वर्णलता अधिकारी, जिनके पति हारन अधिकारी भी कथित रूप से चुनाव से जुड़ी हिंसा में मारे गए थे. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने अपने तीसरे कार्यकाल के लिए 2021 के विधानसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की. शीर्ष अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 25 मई की तारीख तय की और याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी को याचिका की प्रति राज्य सरकार के स्थायी वकील को देने को कहा. याचिका में शीर्ष अदालत से सरकार और अधिकारी की हत्या की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने का आग्रह किया गया था, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि वे इस घटना के चश्मदीद गवाह हैं.

जेठमलानी ने कहा कि हत्याएं तब हुईं, जब पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम घोषित किए गए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह से निष्क्रिय है और पुलिस ने जांच को विफल करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि पुलिस निष्क्रिय खड़ी है. उन्होंने कहा, "किसी ने मदद नहीं की और उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया. यह राज्य प्रशासन के इशारे पर था." शीर्ष अदालत ने कहा, "हम नोटिस जारी करते हैं. इसे राज्य को दें. हम इसे अगले मंगलवार को सुनेंगे." जेठमलानी ने कहा कि शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया है और अदालत निर्देश दे सकती है कि पोस्टमॉर्टम किया जाए और इसकी वीडियोग्राफी की जाए. उन्होंने अदालत से राज्य के अधिकारियों को सुनवाई की अगली तारीख तक शव का अंतिम संस्कार नहीं करने का निर्देश देने का आग्रह किया, क्योंकि परिवार यही चाहता है. हालांकि, पीठ ने इन सबमिशन पर कोई निर्देश नहीं दिया.