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सुप्रीम कोर्ट ने PM केयर्स फंड से अनाथ बच्चों के लिए घोषित सहायता पर मांगी जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से कहा कि वह कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए हाल ही में पीएम केयर्स फंड के तहत घोषित योजना का विवरण दें और बताएं कि इस योजना को कैसे लागू किया जाएगा.

Updated on: 02 Jun 2021, 04:00 AM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से कहा कि वह कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए हाल ही में पीएम केयर्स फंड के तहत घोषित योजना का विवरण दें और बताएं कि इस योजना को कैसे लागू किया जाएगा. न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि सरकार ने महामारी के कारण अनाथ बच्चों को लाभान्वित करने के लिए 29 मई को एक योजना की घोषणा की. उन्होंने कहा कि वे अभी तक नहीं जानते हैं कि इस योजना के तहत कितने बच्चे लाभार्थी हैं. हालांकि यह कहा गया है कि जिन बच्चों के माता-पिता, दत्तक माता-पिता आदि खो गए हैं, वे इसके लाभार्थी होंगे.

न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने केंद्र के वकील से पीएम केयर्स फंड के तहत किए गए पैकेज की घोषणा के संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने को कहा. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने प्रस्तुत किया कि लाभार्थियों की पहचान सहित योजना का विवरण अदालत के समक्ष दायर किया जाएगा. नरेंद्र मोदी सरकार के सात साल पूरे होने के मौके पर केंद्र ने हाल ही में कोरोना से माता-पिता को खोने वाले बच्चों के लिए बड़ा एलान किया है. ऐसे बच्चों को मुफ्त शिक्षा और इलाज की सुविधा मिलेगी. 18 वर्ष पूरा होने पर मासिक आर्थिक सहायता(स्टाइपेंड) और 23 वर्ष का होने पर दस लाख रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी.

योजना के अनुसार, पीएम केयर की धनराशि से अनाथ बच्चों के लिए फंड की व्यवस्था होगी. ऐसे बच्चों के लिए 10 लाख रुपये का पीएम केयर से फंड बनेगा, जिसके तहत 18 वर्ष का होने के बाद बच्चों को अगले पांच वर्ष तक जरूरतों के लिए मासिक धनराशि मिलेगी, वहीं 23 वर्ष का पूरा होने पर एकमुश्त 10 लाख रुपये का फंड मिलेगा. पीएम केयर फंड के तहत 18 वर्ष पूरा होने पर दस लाख रुपये का फंड बनेगा. 18 वर्ष पूरा होने के बाद इस फंड से पांच वर्ष तक मासिक आर्थिक सहायता मिलेगी. यह धनराशि उच्च शिक्षा के लिए जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी. 23 वर्ष की पूरी होने पर 10 लाख रुपये मिलेंगे.

इसी तरह दस वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नजदीकी केंद्रीय विद्यालय में दाखिला मिलेगा. अगर प्राइवेट स्कूल में बच्चे के दाखिला होगा तो पीएम केयर से फीस दी जाएगी. पीएम केयर से बच्चे के यूनिफॉर्म, कापी और किताब भी खरीदी जाएगी. 11 से 18 साल के विद्यार्थियों को केंद्र सरकार के अधीन संचालित सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय आदि में दाखिला मिलेगा. उच्च शिक्षा के लिए ऐसे बच्चों को ब्याज मुक्त लोन मिलेगा. लोन पर ब्याज की अदायगी पीएम केयर फंड से होगी. कोरोना के कारण माता-पिता को खोने वाले बच्चों को आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी. 18 वर्ष तक होने तक पीएम केयर फंड से बीमा की किश्त भरी जाएगी.

शीर्ष अदालत देश भर के बाल देखभाल संस्थानों में कोविड-19 की रोकथाम पर एक स्वत: संज्ञान मामले में दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी.  राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा दायर एक हलफनामे के अनुसार, महामारी ने 1,700 से अधिक बच्चों को अनाथ कर दिया है. 7464 बच्चे ऐसे हैं जिनके माता या पिता में से एक की मृत्यु हुई है और 140 बच्चों को परिवार ने छोड़ दिया है. एनसीपीसीआर के वकील ने अदालत को सूचित किया था कि एक वेब पोर्टल बाल स्वराज लॉन्च किया गया था, जिसके माध्यम से प्रत्येक जिला महामारी के दौरान बच्चों के बारे में जानकारी अपलोड कर सकता है. शीर्ष अदालत ने पिछले हफ्ते, सभी राज्यों को मार्च 2020 से 29 मई तक डेटा अपलोड करने का निर्देश दिया था और एनसीपीसीआर को मामले में अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने की अनुमति दी थी.

अग्रवाल के सुझाव पर कार्रवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा, जो अनाथों की आवश्यक जानकारी के संबंध में अधिवक्ता के साथ बातचीत करेगा. शीर्ष अदालत ने नोट किया कि वर्तमान में 9,000 ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने माता-पिता (दोनों) या माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है. एनसीपीसीआर के वकील ने कहा कि राज्य सरकारें उन बच्चों के बारे में पूरी जानकारी नहीं दे पाई हैं, जिन्होंने महामारी के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है.