Advertisment

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड मृत्यु प्रमाणपत्र पर समान नीति को लेकर जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुझाव दिया कि कोविड-19 से संक्रमित होकर मरे लोगों के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने में एक समान नीति अपनाई जानी चाहिए और इसके लिए कुछ दिशानिर्देश भी होने चाहिए.

author-image
Deepak Pandey
New Update
Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुझाव दिया कि कोविड-19 से संक्रमित होकर मरे लोगों के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने में एक समान नीति अपनाई जानी चाहिए और इसके लिए कुछ दिशानिर्देश भी होने चाहिए. न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि कई बार मृत्यु प्रमाणपत्र में कारण दिल का दौरा या फेफड़े का विफल हो जाना लिखा हो सकता है, लेकिन ऐसा कोविड-19 के कारण हुआ, यह लिखा जा सकता है. पीठ ने सरकार के वकील से पूछा, "तो, मृत्यु प्रमाणपत्र कैसे जारी किए जा रहे हैं?" शीर्ष अदालत के अधिवक्ता रीपक कंसल और गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएमए) की धारा 12 (3) का हवाला देते हुए कहा गया है कि किसी अधिसूचित आपदा के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों के लिए अनुग्रह राशि (मुआवजा) देने का प्रावधान है.

कंसल की याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 से मरे लोगोंके मृत्यु प्रमाणपत्र में मृत्यु का कारण कोविड-19 लिखा जाना चाहिए, न कि वायरल संक्रमण से जुड़ी जटिलताओं का उल्लेख किया जाना चाहिए. बंसल की याचिका में कोविड-19 से मरने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की गई है. शीर्ष अदालत ने दोनों याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया.

न्यायमूर्ति शाह ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा : "क्या मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए कोई समान नीति है?" पीठ ने कहा कि अगर डीएमए की धारा 12 के तहत लाभ दिया जाना है तो एक समान दिशानिर्देश होने चाहिए. अदालत ने केंद्र और आईसीएमआर को अधिनियम के संबंध में नीति बताने के लिए कहा, और यह भी पूछा कि इस नीति का कार्यान्वयन, मृतक के परिजनों को 4 लाख रुपये के भुगतान के लिए, कोविड-19 को अधिनियम के तहत महामारी घोषित किए जाने के बाद किस तरह काम करेगा.

केंद्र के वकील ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए जब तीन सप्ताह का समय मांगा, तब शीर्ष अदालत ने उन्हें 10 दिनों में जवाब दाखिल करने के लिए कहा. बंसल की याचिका में कहा गया है : "यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 12 के अनुसार, आपदा से प्रभावित व्यक्तियों को राहत के न्यूनतम मानक प्रदान करना राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का मौलिक कर्तव्य है. धारा 12 (3) आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अनुसार, एनडीएमए आपदा से प्रभावित व्यक्तियों को हुए नुकसान के लिए अनुग्रह सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य है."

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 12 (3) का हवाला देते हुए, याचिका में कहा गया है कि एनडीएमए ने 8 अप्रैल, 2015 को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष से सहायता के आइटम और मानदंड जारी किए. हालांकि, यह अधिसूचना 2015-20 की अवधि के लिए लागू थी. 14 मार्च, 2020 को केंद्र ने एक अधिसूचना के माध्यम से कोविड-19 को डीएमए के तहत एक अधिसूचित आपदा घोषित किया था.

बंसल की याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी संख्या 01 (केंद्र) के अनुसार, प्रति मृतक को 4 लाख रुपये अनुग्रह राशि के रूप में भुगतान करने का निर्णय लिया गया है. याचिका में शीर्ष अदालत से केंद्र और राज्य सरकारों को कोविड-19 पीड़ितों को सामाजिक सुरक्षा और पुनर्वास प्रदान करने के निर्देश जारी करने का आग्रह भी किया गया है.

Source : IANS

Supreme Court Modi Government covid-19 corona-virus
Advertisment
Advertisment
Advertisment