सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संकेत दिया कि वह अडाणी समूह पर हिडेनबर्ग रिपोर्ट को लेकर जारी विवाद में जांच पूरी करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को तीन महीने का समय और दे सकता है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा तथा जेबी पारदीवाला भी शामिल हैं, ने कहा कि वह याचिकाकर्ताओं की बात को स्वीकार करती है कि सेबी अपनी जांच पूरी करने के लिए अनिश्चित काल तक का समय नहीं ले सकता है और हम उन्हें छह महीने नहीं देने जा रहे हैं, हम उन्हें तीन महीने देते हैं। अदालत ने कहा कि वह सेबी की जांच पूरी करने के लिए छह महीने की मोहलत देने के अनुरोध को स्वीकार करने की इच्छुक नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश ने सेबी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, अब हम इस मामले को अगस्त के मध्य में पेश करेंगे, जो आपको तीन महीने का समय देगा। आप तीन महीने में अपनी जांच पूरी करें.. हम यह नहीं कह सकते कि आपको कम से कम छह महीने चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे अदालत द्वारा नियुक्त सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.एम. सप्रे की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट प्राप्त हुई है।
शीर्ष अदालत सेबी द्वारा अपनी जांच रिपोर्ट जमा करने के लिए छह महीने की मोहलत मांगने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। छह महीने के विस्तार का अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कड़ा विरोध किया था।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि रजिस्ट्री में न्यायमूर्ति सप्रे की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट प्राप्त हो गई है और वह सप्ताहांत में इसकी जांच करेगी और फिर सोमवार को सेबी के आवेदन पर आदेश सुनाएगी।
भूषण ने अदालत के सामने दलील दी कि सेबी को अब तक की गई जांच की जानकारी अदालत को देनी चाहिए थी।
एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले भूषण ने कहा, हमें पता होना चाहिए कि इस मामले में अब तक क्या जांच की गई है, क्योंकि हिंडनबर्ग पहली बार यह आरोप नहीं लगा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश ने इसके जवाब में कहा, श्री भूषण, यह कोई आपराधिक जांच नहीं है कि हम केस डायरी को देख रहे हैं। यह इस स्तर पर उचित नहीं होगा।
तुषार मेहता ने कहा, मैंने सेबी के सर्वोच्च प्रशासनिक स्तर से निर्देश लिया है। छह महीने भी एक संकुचित अवधि है और मैं इसे ईमानदारी के साथ कह रहा हूं। मैं ऐसा कोई वादा नहीं करूंगा जिसके बारे में मुझे भी पता है कि पूरा नहीं किया जा सकता है।
सेबी ने 29 अप्रैल को अडाणी समूह द्वारा स्टॉक हेरफेर के हिंडनबर्ग आरोपों की जांच पूरी करने के लिए छह महीने के विस्तार की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सेबी ने कहा था कि आम तौर ऐसे मामलों की जांच में 15 महीने का समय लगता है, लेकिन वह छह महीने में जांच पूरी करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है।
शीर्ष अदालत ने 2 मार्च को पारित एक आदेश में, सेबी को तेजी से जांच समाप्त करने और एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था। साथ ही 2 मई को एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय सीमा निर्धारित की थी।
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Source : IANS