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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर राज्यों को फटकार लगायी

न्यायालय ने वायु प्रदूषण को काबू करने में विफल रहने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारों को फटकार लगायी

Updated on: 06 Nov 2019, 10:54 PM

दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि जहरीली हवा दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के करोड़ों लोगों के लिए जिंदगी और मौत का सवाल बन गयी है. न्यायालय ने वायु प्रदूषण को काबू करने में विफल रहने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारों को फटकार लगायी और कहा कि यदि उन्हें लोगों की परवाह नहीं तो उन्हें सत्ता में रहने का भी कोई अधिकार नहीं है. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने कहा, ‘‘आप वास्तविकता से दूर रहकर केवल शासन करना चाहते हैं. आपको परवाह नहीं है और आपने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है.’’ न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश की सरकारों को उनके यहां पराली नहीं जलाने वाले छोटे और सीमांत किसानों को आज से सात दिन के भीतर 100 रुपये प्रति क्विंटल का वित्तीय सहयोग देने का निर्देश दिया. तीन राज्यों में पराली जलाया जाना दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के लिए 44 प्रतिशत जिम्मेदार है.

सोमवार को न्यायालय ने पराली जलाने पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया था लेकिन किसानों ने उसके आदेश के बावजूद पराली जलाना जारी रखा. अदालत ने साथ ही कहा था कि यदि ऐसी एक भी घटना होती है तो अधिकारी जिम्मेदार होंगे. अदालत ने कहा कि सरकार को जिम्मेदार ठहराना होगा. न्यायमूर्ति मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों से सवाल किया, ‘‘क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से इसी तरह मरने देंगे. क्या आप देश को सौ साल पीछे जाने दे सकते हैं?’’ प्रदूषण मामले पर सुनवायी करीब तीन घंटे चली. न्यायालय आम तौर पर सवा छह बजे बंद होता है लेकिन इसकी सुनवायी उसके आगे भी जारी रही. पीठ ने कहा, ‘‘हमें इसके लिये सरकार को जवाबदेह बनाना होगा.’’ पीठ ने सवाल किया, ‘‘सरकारी मशीनरी पराली जलाये जाने को रोक क्यों नहीं सकती?’’

अदालत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद राज्यों की ओर से पराली जलाने से रोकने के लिए अग्रिम में कोई गंभीर प्रयास नहीं किये गए. अदालत ने कहा, ‘‘आप पहले से इसके (पराली जलाने से रोकने) लिए तैयार क्यों नहीं थे? आपने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाये हैं? यदि राज्य सरकारें यह नहीं कर सकती तो उन्हें जाने दीजिये. हमें परवाह नहीं. यदि आपको लोगों की परवाह नहीं तो आपको सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं.’’’ पीठ ने कहा, ‘‘सरकार चलाना या यह सिखाना कि आपको जमीनी स्तर पर क्या करना है, अदालत का काम नहीं है. आपके पास कोई विचार नहीं है, इससे निपटने के लिए कोई रूपरेखा नहीं है.’’ अदालत ने कहा कि एनसीआर क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए यह जीवन और मरण का सवाल है क्योंकि वे कैंसर और अस्थमा जैसी खतरनाक बीमारियों से पीड़ित हैं.

अदालत ने कहा, ‘‘इसके कारण कितने लोग कैंसर, अस्थमा और अन्य ऐसी बीमारियों से पीड़ित होंगे? हम यह कल्पना भी नहीं कर सकते कि दिल्ली में प्रदूषण के चलते किस तरह की बीमरियां हैं.’’ पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी शामिल थे. पीठ ने कहा, ‘‘आप (राज्य) कल्याणकारी सरकार की अवधारणा भूल गए हैं. उन्हें गरीबों की चिंता नहीं है, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम देश की लोकतांत्रिक सरकारों से पराली जलाने और प्रदूषण से निपटने के लिए और काम करने की उम्मीद करते हैं.’’ पीठ ने कहा,‘‘आपको इससे शर्म नहीं आती कि उड़ानों के मार्ग बदले जा रहे हैं, लोग मर रहे हैं और वे अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं.’’ न्यायालय ने सवाल किया कि राज्य सरकारें क्यों किसानों से पराली नहीं खरीद सकती. न्यायालय ने कहा कि ‘‘कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसानों के हितों को देखना राज्य की जिम्मेदारी है.’’

अदालत ने कहा कि यह अत्यंत जरूरी है कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए जरूरी मशीनरी मुहैया करायी जाएं. अदालत ने कहा, ‘‘किसानों को दंडित करना अंतिम समाधान नहीं है.’’ पंजाब के मुख्मयंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उच्चतम न्यायालय ने पराली जलाने पर रोक के लिए छोटे और सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता मुहैया कराने की जरूरत स्वीकार की है. उन्होंने चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा कि अदालत ने प्रभावी ढंग से स्वीकार किया है कि वित्तीय सहायता नहीं होने की दशा में किसानों के पास पराली जलाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है. न्यायालय ने कृषि एवं पर्यावरण मंत्रालयों, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारों से कहा कि वे पर्यावरण एवं उससे जुड़े अन्य मुद्दों की देखरेख के लिए तीन महीने के भीतर एक वृहद योजना के साथ आयें.

पीठ ने निर्माण एवं ध्वस्तीकरण गतिविधियों, खुले में कचरा फेंकने, कचरा जलाने, बिना फुटपाथ वाली सड़कों, सड़कों पर धूल और अधिक यातायात से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने में प्राधिकारियों की विफलता के लिए दिल्ली के मुख्य सचिव को फटकार लगायी जो कि राष्ट्रीय राजधानी में 56 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है. पीठ ने दिल्ली के मुख्य सचिव से कहा, ‘‘हम आपको लोगों के जीवन से नहीं खेलने देंगे.’’ पीठ ने निर्देश दिया कि दिल्ली में प्राधिकारी तीन सप्ताह के भीतर गड्ढ़ों को देखें. पीठ ने एनसीआर के संबंधित प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि वे दिल्ली में पहचान किये गए अधिक प्रदूषण वाले 14 स्थलों, हरियाणा में ऐसे तीन और उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान में एक एक स्थलों के बारे में की गई कार्रवाई के बारे में अनुपालन रिपोर्ट उसके समक्ष पेश करें.

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के संबंध में पीठ ने कहा कि छोटे, सीमांत किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए जरूरी मशीनरी और उपकरण मुहैया कराये जाएं. पीठ ने कहा कि फिलहाल ये तीन राज्य छोटे और सीमांत किसानों के मामले में इन मशीनों के परिचालन का खर्च वहन करेंगे जब तक इन्हें उचित सुविधाएं नहीं मुहैया करायी जाती. अदालत ने कहा कि तीनों राज्य उन किसानों के बारें में एक रूपरेखा तैयार करें जिन्हें सरकार से मदद की आवश्यकता है. अदालत ने कहा कि वह वित्तीय पहलू पर निर्णय, राज्यों द्वारा एक महीने के भीतर एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल किये जाने के बाद करेगी.