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हाईवे पर शराबबंदी को लेकर SC ने कहा, शहर के अंदर के हाईवे को डिनोटिफाई करना गलत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने हाईवे पर सभी शराब की दुकानों को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा है कि अगर कोई हाईवे शहर के बीच से होकर गुजरता है तो उसे डिनोटिफाई किया जाता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है।

Updated on: 04 Jul 2017, 06:19 PM

highlights

  • सुप्रीम कोर्ट ने हाईवे पर सभी शराब की दुकानों को बड़ी राहत दी है
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई हाईवे शहर के बीच से होकर गुजरता है तो उसे डिनोटिफाई करने में कुछ गलत नहीं है

 

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने हाईवे पर सभी शराब की दुकानों को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा है कि अगर कोई हाईवे शहर के बीच से होकर गुजरता है तो उसे डिनोटिफाई करने में कुछ गलत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की बिक्री पर रोक के पीछे कारण यह है कि लोग शराब पीकर तेज रफ्तार में गाड़ी ना चलाए लेकिन लेकिन शहर में इस तरह की रफ्तार देखने को नहीं मिलती। शहर के बीच से गाड़ियां आम तौर पर धीमी रफ्तार से चलती हैं।

कोर्ट ने कहा, 'हमारे आदेश का उद्देश्य सिर्फ यही था कि हाईवे के पास शराब उपलब्ध न हो। कुछ लोग शराब पीकर तेजी से गाड़ी चलाते है और इससे दुर्घटना हो जाती है।' चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह सवालों के जवाब दें और फिर 11 जुलाई को सुनवाई कर आदेश जारी किया जाएगा।

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आपको बता दें कि चंडीगढ़ में कई जगह हाईवे का नाम बदलकर 'मेजर डिस्ट्रिक रोड' रख दिया है। इसी को लेकर एराइव सेफ इंडिया एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईवे पर शराब की दुकानों को बंद करने का फैसला जनहित में लिया था क्योंकि इससे सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।

ऐसे में चंडीगढ़ प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्‍प्रभावी करने के लिए 16 मार्च 2017 का नोटिफिकेशन अवैध है और रद्द किया जाना चाहिए। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस याचिका को पहले ही खारिज कर चुका है।

दरअसल पिछले साल 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया था कि नेशनल हाईवे और स्‍टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानें नहीं होंगी। हालांकि उसमें यह भी साफ किया गया कि जिनके पास लाइसेंस हैं वो खत्म होने तक या 31 मार्च 2017 तक जो पहले हो, तक इस तरह की दुकानें चल सकती हैं।

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