सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ताजमहल संरक्षण मामले पर सुनवाई करते हुए योगी सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
अदालत ने कहा कि ताजमहल के प्रति हमारा सरोकार यूनेस्को से कहीं अधिक होना चाहिए। इस पर पुरातत्व सर्वेक्षण ने बेंच को बताया कि उसने 2013 में ताजमहल के बारे में यूनेस्को को अपनी योजना सौंप दी थी।
इस दौरान कोर्ट ने इसके रख-रखाव और संरक्षण के लिए जिम्मेदारी भी तय की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ताज ट्रैपेजियम जोन (टीटीजेड) के अध्यक्ष और पर्यावरण मंत्रालय, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव ताजमहल के चारों ओर के खराब होने वाले वातावरण के लिए ज़िम्मेदार हैं।
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इसके अलावा एएसआई के महानिदेशक भी ताजमहल की संरक्षण के लिए ज़िम्मेदार हैं। वो स्मारकों की सुरक्षा से जुड़ा शपथपत्र सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे।
बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से यह प्रस्ताव तब आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में सरकार को डांट लगाई थी और कहा था कि ताजमहल के संरक्षण से कई प्राधिकारी जुड़े हुए हैं जिसकी वजह से इस बात को लेकर दिक्कत होती है कि किसे ज़िम्मेदार ठहराया जाए।
गौरतलब है कि 26 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल की उपेक्षा के लिए केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी।
कोर्ट ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि अगर यूनेस्को 17वीं सदी के इस मुगल स्मारक को अपनी 'विश्व धरोहर सूची' से बाहर कर दे तो आप लोग क्या करेंगे।
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Source : News Nation Bureau