संविधान के बाहर जम्मू-कश्मीर को चुटकी भर भी संप्रभुता नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर की भारतीय संविधान के बाहर और अपने संविधान के अंतर्गत रत्ती भर भी संप्रभुता नहीं है और उसके नागरिक सबसे पहले भारत के नागरिक हैं।
highlights
- सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर की भारतीय संविधान के बाहर और अपने संविधान के अंतर्गत रत्ती भर भी संप्रभुता नहीं है
- कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के नागरिक सबसे पहले भारत के नागरिक हैं
New Delhi:
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर की भारतीय संविधान के बाहर और अपने संविधान के अंतर्गत रत्ती भर भी संप्रभुता नहीं है और उसके नागरिक सबसे पहले भारत के नागरिक हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के निष्कर्ष को 'पूरी तरह गलत' करार देते हुए यह टिप्पणी की। हाई कोर्ट ने कहा था कि राज्य को अपने स्थायी नागरिकों की अचल संपत्तियों के संबंध में उनके अधिकार से जुड़े कानूनों को बनाने में पूरी संप्रभुता हासिल है।
जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आर एफ नरीमन की पीठ ने कहा, 'जम्मू कश्मीर को भारतीय संविधान के बाहर और अपने संविधान के तहत रत्ती भर भी संप्रभुता नहीं है। राज्य का संविधान भारत के संविधान के अधीनस्थ है।'
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर को उसके निवासियों का खुद को एक अलग और विशिष्ट वर्ग के रूप में बताना पूरी तरह गलत है। हमें उच्च न्यायालय को यह याद दिलाने की जरूरत है कि जम्मू कश्मीर के निवासी सबसे पहले भारत के नागरिक हैं।'
बेंच ने जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के इस फैसले को दरकिनार कर दिया कि राज्य विधानमंडल से बने कानूनों पर असर डालने वाला संसद का कोई कानून जम्मू कश्मीर में लागू नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हाई कोर्ट का फैसला ही गलत अंत से प्रारंभ होता है और वह गलत निष्कर्ष पर भी पहुंच जाता है।'
कोर्ट ने कहा, 'हम यह भी कह सकते हैं कि जम्मू कश्मीर के नागरिक भारत के नागरिक हैं और कोई दोहरी नागरिकता नहीं है जैसा कि दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में कुछ अन्य संघीय संविधानों में विचार किया गया है।'
सुप्रीम कोर्ट का फैसला हाई कोर्ट के फैसले के विरूद्ध भारतीय स्टेट बैंक की अपील पर आया है। हाई कोर्ट ने कहा था कि एसएआरएफएईएसआई अधिनियम का जम्मू कश्मीर के संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1920 से टकराव होगा।
सरफेसी एक्ट (एसएआरएफएईएसआई) एक ऐसा कानून है कि जो बैंकों को कर्जदारों की गिरवी रखी गई संपित्त को कब्जे में लेने एवं उन्हें बेच देने का अधिकार देता है। शीर्ष अदालत ने 61 पन्नों के अपने फैसले में यह भी कहा कि यह बहुत परेशान करने वाली बात है कि हाई कोर्ट के फैसले के कई हिस्से जम्मू कश्मीर की पूर्ण संप्रभु शक्ति का उल्लेख करते हैं।
न्यायालय ने कहा, 'यहां इस बात को दोहराना आवश्यक है कि जम्मू कश्मीर का संविधान, जिसे सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर संविधान सभा ने तैयार किया था, स्पष्ट घोषणा करता है कि जम्मू कश्मीर राज्य भारत संघ का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा तथा यह प्रावधान संशोधन के दायरे के बाहर है।'
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि एसएआरएफएईएसआई अधिनियम के प्रावधान जम्मू कश्मीर में लागू किये जा सकते हैं।
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