/newsnation/media/post_attachments/images/2018/01/10/97-kaveri.jpg)
तमिलनाडु-कर्नाटक का कावेरी जल विवाद
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संकेत दिया कि तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर एक महीने के भीतर फैसला सुना दिया जायेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पिछले दो दशकों में काफी भ्रम पैदा किया गया है। अदालत ने साफ किया है कि 4 महीने में फैसला दिए जाने के बाद ही कोई फोरम कावेरी बेसिन से जुड़े इस मामले को उठाएगा।
जल बंटवारे को लेकर यह विवाद तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच है।
गौरतलब है कि पानी के बंटवारे को लेकर 2007 के कावेरी जल विवाद ट्राइब्यूनल (CWDT) के फैसले के खिलाफ कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए. एम. खानविलकर और डी. वाई. चंद्रचूड की बेंच ने कहा, 'पिछले दो दशकों तक काफी भ्रम की स्थिति रही है। कोई फोरम इस मामले को फैसला आने के बाद ही टच कर सकता है। हम चार हफ्ते में फैसला दे देंगे।'
आपको बता दें कि सर्वोच्च अदालत के तीन जजों की बेंच ने मैराथन सुनवाई के बाद 20 सितंबर 2017 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पिछले साल 20 सितम्बर को सुनवाई के दौरान कर्नाटक ने कहा था कि 1924 में ब्रिटिशकालीन मद्रास प्रांत और मैसूर रियासत के बीच हुए समझौते को मौजूदा कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल बंटवारा विवाद में आधार नहीं बनाया जा सकता।
वहीं तमिलनाडु ने भी जल बंटवारे के फैसले को लेकर असंतुष्टि दिखाई थी।
यह भी पढ़ें: दल नहीं 'वाशिंग मशीन' है बीजेपी, धो देती है दागी नेताओं के अपराध : कन्हैया कुमार
Source : News Nation Bureau