अयोध्या मामले में फैसला सुरक्षित; 23 दिन में सुप्रीम कोर्ट दे सकता है ऐतिहासिक निर्णय

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अयोध्या मामले (Ayodhya Case) की सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अयोध्या मामले (Ayodhya Case) की सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई है.

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Deepak Pandey
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अयोध्या मामले में फैसला सुरक्षित; 23 दिन में सुप्रीम कोर्ट दे सकता है ऐतिहासिक निर्णय

सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : (फाइल फोटो))

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अयोध्या मामले (Ayodhya Case) की सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब इस मामले में 23 दिन बाद फैसला आ सकता है. सबसे आखिर में मुस्लिम पक्ष की ओर से दलीलें रखी गईं. अब सुप्रीम कोर्ट ने लिखित हलफनामा, मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को लिखित में जमा करने के लिए तीन दिन का समय दिया है.

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बता दें कि बुधवार को सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा था कि अब आगे और वक्त नहीं दिया जा सकता है. पक्षकारों का आज ही अपनी जिरह पूरी करनी होगी. अभी तक सुन्नी वक्फ बोर्ड के अपील वापस लेने के कथित दावे पर कोई चर्चा कोर्ट रूम में नहीं हुई है. इसके बाद रामलला विराजमान की ओर से सीएस वैद्यनाथन ने जिरह शुरू की है. जिरह शुरू करते हुए वैद्यनाथन ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं, जिससे विवादित ज़मीन पर मुस्लिम पक्ष का दावा साबित हो सके.

हिंदू पक्षकार ने कहा कि 16 दिसंबर 1949 के बाद से विवादित जगह पर कोई नमाज नहीं पढ़ी गई और इस बात के सबूत भी हैं. 22-23 दिसंबर की रात रामलला वहां विराजमान थे. 23 दिसबंर शुक्रवार था, लेकिन रामलला की प्रतिमा होने की वजह से नमाज अदा नहीं की जा सकी. विवादित स्थल पर 1949 से नहीं नमाज पढ़ी गई. उन्होंने कहा, ऐसा कोई सबूत नहीं, जिससे साफ हो कि 1934 के बाद वहां नमाज पढ़ी गई. जबकि हिंदू हमेशा उस जगह को श्रीराम का जन्मस्थान मानकर पूजा करते रहे हैं.

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इसी के साथ सीएस वैद्यनाथन ने मंगलवार की दलील को दोहराया. उन्होंने कहा कि मुसलमान अयोध्या की दूसरी मस्जिदों में नमाज पढ़ सकते हैं पर हिन्दुओं के पास श्रीरामजन्मस्थान का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. वो अपने आराध्य का जन्मस्थान नहीं बदल सकते हैं. सीएस वैद्दनाथ ने आगे कहा,  मुस्लिम पक्ष के पास कोई ऐसा सबूत नहीं, जिससे साफ हो कि 1949 तक वहां मुस्लिमों का एकाधिकार रहा हो. जबकि हकीकत ये है कि हिंदू पक्ष ने कभी अपना दावा नहीं छोड़ा. इसके बाद CJI रंजन गोगोई ने कहा, आपका समय पूरा हुआ, बैठ जाइए.

हिंदू महसभा के वकील की तरफ से इस दौरान नक्शा भी दिया गया था. लेकिन राजीव धवन ने वो नक्शा और कागजात दोनों फाड़ दिए, जिस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने काफी नाराजगी जताई. अयोध्या मध्यस्थता पैनल ने एक सेटलमेंट रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है. सूत्रों के मुताबिक, सुन्नी वक्फ बोर्ड इस पर सहमत हो गया है कि विवादित ज़मीन के बदले उसे कई और जगह मस्जिद बनाने के लिए दे दी दिए जाए. हालांकि, इस चर्चा में कई अहम हिंदू और मुस्लिम पक्षकार शामिल नहीं हुए थे.

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