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SC का अयोध्या विवाद को अदालत से बाहर सुलझाने का सुझाव, पहले भी 10 बार हो चुकी है बातचीत

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सुलह के जरिये समाधान निकाले जाने की टिप्पणी के बाद राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर फिर से बयानबाजी और बहस की शुरुआत हो गई है।

Updated on: 22 Mar 2017, 07:16 AM

New Delhi:

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सुलह के जरिये समाधान निकाले जाने की टिप्पणी के बाद राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर फिर से बयानबाजी और बहस की शुरुआत हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने बातचीत की उम्मीद जगाई है लेकिन ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस दिशा में बातचीत पहले हुई है या नहीं और उसका क्या नतीजा रहा?

वास्तव में राम मंदिर-बाबरी विवाद को लेकर इससे पहले 10 बार कोशिश हो चुकी है। 1986 के बाद से इस मामले में अब तक दोनों पक्षों के बीच समझौते की 10 कोशिशें हो चुकी हैं। ऐसे में चीफ जस्टिस जे एस खेहड़ की टिप्पणी के बाद इस विवाद को लेकर एक बार फिर से समझौते की उम्मीद जग गई है।

आखिरी बार अगस्त 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर दोनों पक्षों में बातचीत की शुरुआत हुई थी। देश के छह प्रधानमंत्रियों राजीव गांधी, वीपी सिंह, चंद्रशेखर, नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के वक्त बातचीत हुई।

लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया। ऐसे में इस बार सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद क्या बातचीत हो पाएगी, इसके बारे में अभी कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी।

बातचीत के पक्ष में BJP और RSS

राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर की गई टिप्पणी का जहां राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी ने स्वागत किया तो वहीं मुस्लिम संगठनों में सुलह की संभावनाओं को खारिज करते हुए न्यायिक समाधान की मांग की।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने विवादित स्थल राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद को तीन हिस्सों में बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है।

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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि इस मामले में बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है और इसका समाधान कोर्ट के फैसले से ही निकाला जाना चाहिए।

सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले को न्यायालय के बाहर सुलझाने की सर्वोच्च न्यायालय की सलाह को एक तरह से खारिज करते हुए कहा कि यह मालिकाना हक का मामला है।

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उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'कृपया याद कीजिए बाबरी मस्जिद मुद्दा मालिकाना हक का मामला है, जिसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गलती से भागीदारी मामला मानकर फैसला सुनाया था। इसीलिए सर्वोच्च न्यायालय में अपील किया गया है।'

समर्थन में योगी, आडवाणी का मिला साथ

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी एक बार फिर से बातचीत किए जाने का समर्थन किया है। योगी कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा के समर्थक रहे हैं और हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया है।

योगी ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत करते हैं। दोनों पक्षों को एक साथ बैठकर इस मसले का समाधान निकालना चाहिए।' मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर विवाद पर बेहद अहम टिप्पणी करते हुए सुझाव दिया कि यह मुद्दा कोर्ट के बाहर बातचीत से हल किया जाना चाहिए।

योगी को इस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का भी समर्थन मिलता नजर आ रहा है। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत करते हुए आडवाणी ने कहा कि इसे पर आम सहमति बननी चाहिए।

आडवाणी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी स्वागत योग्य है। मामले में शामिल सभी पक्षों को सहमति से इसका समाधान निकालना चाहिए।' 

भारत के चीफ जस्टिस जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि दोनों पक्षों को मिल-बैठकर इस मुद्दे को बातचीत से हल करना चाहिए। बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कोर्ट से आग्रह किया था कि वह पिछले छह साल से लंबित राम मंदिर अपील पर रोज़ाना सुनवाई करते हुए जल्द फैसला सुनाए।

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  • HIGHLIGHTS
  • अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद एक बार फिर से सुलह की उम्मीद जगी
  • वास्तव में राम मंदिर-बाबरी विवाद को लेकर इससे पहले 10 बार कोशिश हो चुकी है
  • 1986 के बाद से इस मामले में अब तक दोनों पक्षों के बीच समझौते की 10 कोशिशें हो चुकी हैं, जिसका अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है