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फारुक अब्‍दुल्‍ला की हिरासत के खिलाफ दायर वाइको की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

वाइको ने फारुक अब्‍दुल्‍ला को कोर्ट में पेश करने का आदेश देने की मांग की थी. CJI रंजन गोगाई ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा, इस मामले में अब कुछ नहीं बचा है.

Updated on: 30 Sep 2019, 11:47 AM

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के MDMK नेता वाइको की फारुख अब्दुल्ला की हिरासत को गैरकानूनी बताने वाली याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया. वाइको ने फारुक अब्‍दुल्‍ला को कोर्ट में पेश करने का आदेश देने की मांग की थी. CJI रंजन गोगाई ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा, इस मामले में अब कुछ नहीं बचा है. इससे पहले मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई ने जम्‍मू-कश्‍मीर में अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ सभी मामलों की एक साथ सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया था. पीठ की अध्‍यक्षता जस्‍टिस रमन्‍ना करेंगे.

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अनुच्‍छेद 370 को बेअसर करने के बाद जम्मू-कश्मीर में जारी पाबंदियों के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई के लिए जस्टिस रमन्‍ना की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ को भेज दिया है. संविधान पीठ कल यानी एक अक्‍टूबर से अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को हटाने और राज्य को 2 हिस्सों में बांटने के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई करेगी. जस्‍टिस रमन्‍ना के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत बेंच के दूसरे सदस्‍य होंगे.

जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत शामिल है. 1 अक्टूबर से संविधान पीठ सुनवाई शुरू करेगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस बेंच में ख़ुद को नहीं रखा है. वजह यह है कि वह 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. दूसरी ओर, उनकी अध्यक्षता वाली संविधान पीठ आजकल अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही है.

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बता दें कि जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक और नागरिक अधिकारों पर पाबंदी को लेकर कुल 14 याचिकाएं दायर की गई थीं. दो याचिकाएं बंदी प्रत्यक्षीकरण यानी हैबियस कोर्पस, जबकि दो कर्फ्यू और अन्य पाबंदियों को हटाने को लेकर की गई थी. एक याचिका मीडिया और जनता के जानकारी हासिल करने के अधिकारों को लेकर है, जबकि बाकी 9 याचिकाएं अनुच्छेद 370 हटाने के प्रावधानों और प्रक्रिया को अलग-अलग नजरिए से चुनौती दे रही हैं. दो याचिकाएं 370 हटाने के प्रावधानों के साथ-साथ राष्ट्रपति की अधिसूचना को भी चुनौती देती हैं.