Aadhaar News: आधार की वैधता बरकरार, SC में रिव्यू पिटिशन खारिज
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हमारा मत है कि 26 सितंबर 2018 के जजमेंट के खिलाफ जो रिव्यू दाखिल किया गया है उसमें रिव्यू का ग्राउंड नहीं बनता लिहाजा अर्जी खारिज की जाती है.
नई दिल्ली :
सुप्रीम कोर्ट आधार मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी गई है हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से इसे खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुनर्विचार का आधार नहीं बनता. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हमारा मत है कि 26 सितंबर 2018 के जजमेंट के खिलाफ जो रिव्यू दाखिल किया गया है उसमें रिव्यू का ग्राउंड नहीं बनता लिहाजा अर्जी खारिज की जाती है.
हालांकि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बहुमत से आए फैसले पर असहमति जताते हुए कहा था कि रिव्यू पिटिशन को तब तक पेंडिंग रखना चाहिए जब तक कि इससे जुड़े रोजर मैथ्यू मामले में लार्जर बेंच का फैसला नहीं आ जाता है. आपको बता दें कि तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच के सामने रोजन मैथ्यू बनाम साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड का केस चल रहा था उस समय जस्टिस गोगोई ने आधार मामले में बहुमत के फैसले के उस आकलन पर संदेह जाहिर किया था,उस सुनवाई में बहुमत ने आधार बिल को मनी बिल की तरह पास किए जाने को सही माना था. जिसे जस्टिस गोगोई रोजर मैथ्यू मामले को लार्जर बेंच रेफर कर दिया था.
आपको बता दें कि आधार मामले में 26 नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाते हुए कहा था कि आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में आधार की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था. आपको बता दें कि तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बैंक अकाउंट से आधार को लिंक करना अनिवार्य नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच में से 4 जजों ने फैसले में कहा था कि आधार न तो बैंक अकाउंट के लिए अनिवार्य होगा और ना ही मोबाइल का सिम लेने के लिए अनिवार्य होगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि आधार को स्कूलों में दाखिले के लिए भी अनिवार्य नहीं किया जायेगा.
सर्वोच्च न्यायालय ने तब अपने फैसले में ये भी कहा था कि आधार किसी भी व्यक्तिगत शख्स के निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है. उस समय सुप्रीम कोर्ट ने 4 बनाम एक के बहुमत के फैसले से कहा था कि आधार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने और पैन के लिए अनिवार्य बना रहेगा. हालांकि एससी ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में आधार ऐक्ट की धारा-57 को खारिज कर दिया था जिसके तहत प्राइवेट कंपनी और कॉरपोरेट को बायोमेट्रिक डेटा को लेने और इस्तेमाल की इजाजत दी गई थी.
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