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अयोध्या विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई करने वाली याचिका को खारिज किया

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर अयोध्या मामले में जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने आज हिंदू महासभा की जल्द सुनवाई की याचिका को खारिज कर दिया है.

Updated on: 24 Nov 2018, 09:10 AM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर अयोध्या मामले में जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने आज हिंदू महासभा की जल्द सुनवाई की याचिका को खारिज कर दिया. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि जल्द सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि जनवरी के पहले हफ्ते में ही सुनवाई होगी.

इससे पहले भी इस मामले में 29 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जनवरी में यह तय होगा कि इसके लिए नई बेंच का गठन किया जाय या फिर वर्तमान बेंच ही मामले की सुनवाई करेगी. अयोध्‍या मामला सुप्रीम कोर्ट में 43 नंबर पर सूचीबद्ध था. कोर्ट ने सुनवाई अगले साल जनवरी तक के लिए टाल दी थी. जनवरी के पहले सप्‍ताह में अयोध्‍या मामले की सुनवाई की तारीख तय की जाएगी.

यह सुनवाई विवादित भूमि को तीन भागों में बांटने वाले 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर होनी है. 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद कोर्ट ने 2:1 बहुमत वाला फैसला दिया था जिसमें 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांट देने का फैसला दिया था. जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

बता दें कि 27 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं माना था. कोर्ट ने 'मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं' वाले फैसले के खिलाफ याचिका पर पुनर्विचार से इनकार कर दिया था.

29 अक्टूबर को संक्षिप्त सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के.एम.जोसेफ की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 में अयोध्या की विवादित जमीन के तीन भाग करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला दिया था.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था, 'हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं. मामला जनवरी, फरवरी या मार्च में कब आएगा, यह फैसला उचित पीठ को करना होगा.'

चीफ जस्टिस ने यह टिप्पणी वकील द्वारा अदालत से उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की तारीख तय करने के आग्रह पर की थी.

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पिछली सुनवाई के दौरान जैसे ही शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई टाल दी, आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ), विहिप (विश्व हिंदू परिषद) ने मामले में कानून लाने को लेकर सरकार पर दबाव बनाया था. सरकार ने कहा था कि उसका न्यायालय पर पूरा भरोसा है, लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा कि लोग चाहते हैं कि इस मामले का निपटारा जल्द से जल्द हो.