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निर्भया के दोषी मुकेश को सुप्रीम कोर्ट से झटका, राष्‍ट्रपति के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील में दम नहीं कि राष्ट्रपति के सामने पूरे रिकॉर्ड को नहीं रखा गया. राष्‍ट्रपति ने सारे दस्तावेजों को देखने के बाद ही दया याचिका को खारिज किया था.

Updated on: 29 Jan 2020, 01:05 PM

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने निर्भया कांड (Nirbhaya Gangrape and Murder) के दोषी मुकेश की उस याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया, जिसमें उसने राष्‍ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी. फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा- हमने फ़ाइल को देखा. सारे अहम दस्तावेज राष्‍ट्रपति के सामने रखे गए थे. इसलिए याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील में दम नहीं कि राष्ट्रपति के सामने पूरे रिकॉर्ड को नहीं रखा गया. राष्‍ट्रपति ने सारे दस्तावेजों को देखने के बाद ही दया याचिका को खारिज किया था. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, राष्‍ट्रपति के फैसले की न्‍यायिक समीक्षा का कोई आधार नहीं है. एक दिन पहले मुकेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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याचिका पर सुनवाई के दौरान दोषी मंगलवार को मुकेश की ओर से दलील देते हुए अधिवक्‍ता अंजना प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा, मानवीय फैसलों में चूक हो सकती है. जीवन और व्यक्तिगत आजादी से जुड़े मसलों को गौर से देखने की ज़रूरत है. उन्‍होंने कहा- माफी का अधिकार किसी की व्यक्तिगत कृपा न होकर, संविधान के तहत दोषी को मिला अधिकार है. राष्ट्रपति को मिले माफी के अधिकार का बहुत जिम्मेदारी से पालन ज़रूरी है. 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के फैसले को भी कुछ आधार पर चुनौती दी जा सकती है.

अंजना प्रकाश ने कहा, मुकेश की दया याचिका खारिज करने में तय प्रकिया का पालन नहीं हुआ और सुप्रीम कोर्ट के 2006 के फैसले के मुताबिक यह न्यायिक समीक्षा का केस बनता है. राष्‍ट्रपति की ओर से दया याचिका में दिए तथ्यों पर बिना गौर किये, मनमाने ढंग से दया याचिका पर फैसला लिया गया.

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अंजना प्रकाश ने कहा- निर्भया के दोषियों को क़ानूनी सहायता भी 2014 में मिली. मेरे मुवक्किल ने माना है कि वह बस में जा रहा था पर उसकी वजह से निर्भया की जान नहीं गई थी. वह रेप में भी शामिल नहीं था. फोरेंसिक एविडेंस भी मेरी इस दलील के पक्ष में हैं. उन्‍होंने कहा- मुकेश के बयान में कहा गया है कि निर्भया से डीएनए सबूत राम सिंह और अक्षय के मिले हैं. इस पर जस्टिस भूषन ने टोका- आप केस की मेरिट पर बात कर रही हैं. जस्टिस भानुमति ने भी कहा- लेकिन इस सब दलीलों को निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुके हैं.

अंजना प्रकाश ने यह भी दलील दी कि जेल सुपरिटेंडेंट की सिफारिश को राष्ट्रपति के सामने नहीं रखी गई. मुकेश जेल के अंदर यौन शोषण का शिकार हुआ. उसकी पिटाई हुई. इस मामले में उसके सहआरोपी राम सिंह की हत्या हो गई लेकिन इस आत्महत्या बताकर केस बन्द कर दिया गया.

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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा- यह देखने की जरूरत है कि आज जो जीवन के मूल्य (Value of Life) की वकालत कर रहा है उसके लिए जीवन का मूल्य क्या था. उन्होंने कहा, सारे महत्वपूर्ण रिकॉर्ड राष्ट्रपति के सामने रखे गए थे. राष्ट्रपति को सिर्फ माफी के सीमित पहलू पर विचार करना था. तुषार मेहता ने कहा, जेल के अंदर मुकेश की ओर से उसका यौन शोषण होने का आरोप उसे माफी का हकदार नही बनाता. तुषार मेहता ने आगे कहा, दया याचिका के निपटारे में अगर देरी होती, तो ये दोषी के पास दलील का आधार हो सकता है, पर अर्जी के तेजी से निपटारा अपने आप में कोई दलील नहीं है.

इससे पहले 17 जनवरी को राष्ट्रपति ने दोषी मुकेश की दया याचिका को खारिज कर दिया था. एक दिन पहले ही दिल्ली के उपराज्यपाल ने मुकेश की दया याचिका खारिज करने की संस्‍तुति के साथ इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय भेजा था, जिसके बाद दोषी मुकेश की फाइल राष्ट्रपति को भेजी गई थी. दोषी विनय कुमार ने ने भी राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी लेकिन उसने अपनी याचिका वापस ले ली थी.

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दोषी मुकेश की याचिका खारिज होने के समय निर्भया की मां आशा देवी कोर्ट रूम में मौजूद थीं. कोर्ट रूम से बाहर निकलकर उन्‍होंने कहा कि हमें पूरी उम्‍मीद है कि एक फरवरी को निर्भया के दोषियों की फांसी हो जाएगी और मेरी बेटी को न्‍याय मिल जाएगा.