सुप्रीम कोर्ट ने बीस हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण के गर्भपात पर रोक लगाने वाले कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई से इंकार किया हैं। कोर्ट ने कहा कि वो इस याचिका पर गर्मी की छुट्टियों के बाद सुनवाई कर सकता हैं। अदालत ने कहा कि अभी और भी राष्ट्रीय महत्व के विषय है, जो पेंडिंग है। जिन पर कोर्ट को विचार करना हैं।
गर्मी की छुट्टियों के बाद करेगा सुनवाई
याचिका मुंबई की रहने वाली महिला की ओर से दायर की गई थी। जिसके डाउन सिंड्रोम से पीड़ित 26 हफ्ते के भ्रूण को गिराने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट ने नही दी थी। इससे पहले 28 फरवरी को महिला की याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि मेडिकल बोर्ड की राय से साफ हैं कि महिला को जान का खतरा नही हैं और बच्चा जीवित रह सकता हैं। अब इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है। गर्मी की छुट्टियों के बाद सुनवाई की जायेगी।
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क्या था मामला
सरकार ने भी मेडिकल बोर्ड की राय का समर्थन करते हुए महिला की याचिका का विरोध किया था। दरअसल इससे पहले महिला की ओर से डाउन सिंड्रोम के चलते भ्रूण को गिराने की इजाजत मांगी गयी थी। कोर्ट ने कहा था कि यह दुखद है कि बच्चे को मानसिक और शारीरिक तौर पर चुनौतियों को सामना करना पड़ेगा। यह मां और बच्चे दोनों के लिए दुखद है, लेकिन नियमों के चलते कोर्ट गर्भ को गिराने की इजाजत नहीं दे सकता है।
क्या है मौजूदा कानून
मौजूदा कानून के मुताबिक 20 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को गिराने की इजाजत नही दी जा सकती बशर्ते महिला की जान को खतरा ना हो। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट कई मामलों में महिला की जान को खतरा होने के चलते 20 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को गिराने की इजाजत दे चुका हैं।
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Source : News Nation Bureau