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SC का प्रमोशन में एससी-एसटी की शर्तों को कम करने से इंकार, 24 फरवरी को सुनवाई

 सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण से पहले उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाना ज़रूरी है. प्रतिनिधित्व का एक तय अवधि में मूल्यांकन किया जाना चाहिए. ये अवधि क्या होगी इसे केंद्र सरकार तय करे.

Updated on: 28 Jan 2022, 12:01 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय के तहत एससी-एसटी समुदाय के लिए प्रमोशन में आरक्षण की शर्तों का हल्का करने से इंकार कर दिया है. सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण से पहले उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाना ज़रूरी है. प्रतिनिधित्व का एक तय अवधि में मूल्यांकन किया जाना चाहिए. ये अवधि क्या होगी इसे केंद्र सरकार तय करे. अदालत ने यह भी कहा कि उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाने की कवायद का मतलब है कि समुदाय को आरक्षण देने से पहले ये साबित करने के लिए आकंड़े जुटाने होंगे कि उस समुदाय का उच्च पदों पर पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है.

24 फरवरी को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आए अपने फैसले में 2018 में जरनैल सिंह से संबंधित विवाद के मामले में जो सवाल उठे थे उस पर अपना जवाब दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण के लिए अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का आंकड़ा तैयार करने की जिम्मेदारी राज्य की है और अदालत इसके लिए कोई मापदंड तय नहीं कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली बेंच में तमाम पक्षकारों की ओर से दलील पेश की गई थी. इस दौरान राज्य सरकारों की ओर से पक्ष रखा गया था, जबकि केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल ने दलील पेश की. सुप्रीम कोर्ट ने तमाम दलीलों को सुनने के बाद फैसला 26 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया था. अब इस मामले में 24 फरवरी को अगली सुनवाई होगी.

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