असम में एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (5 फरवरी) को केंद्र सरकार (Central government) को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि गृह मंत्रालय का पूरा प्रयास एनआरसी (NRC) प्रक्रिया को बर्बाद करने का है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक बार फिर कहा कि एनआरसी के लिए निर्धारित 31 जुलाई की समयसीमा आगे नहीं बढ़ेगी. इसके साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग (Election Commission) को निर्देश दिया कि वह राज्य के कुछ अधिकारियों को चुनाव के काम से अलग कर दे, जिससे एनआरसी प्रक्रिया जारी रखना सुनिश्चित हो सके.
दरअसल गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से एनआरसी के काम को 2 हफ्ते के लिए रोकने की गुजारिश की थी क्योंकि सेन्ट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज (CAPF) चुनावी ड्यूटी में व्यस्त रहेंगी. इस पर सीजेआई रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि एनआरसी प्रक्रिया को पूरी करने की 31 जुलाई की डेडलाइन नहीं बढ़ेगी. सीजेआई ने कहा कि केंद्र एनआरसी प्रक्रिया को लेकर सहयोग नहीं कर रहा है और ऐसा लगता है कि गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) की पूरी कोशिश एनआरसी प्रक्रिया को बर्बाद करने की है.
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सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह असम के कुछ अफसरों को इलेक्शन ड्यूटी से मुक्त करने पर विचार करे ताकि एनआरसी प्रक्रिया का जारी रहना सुनिश्चित हो सके. कोर्ट ने इससे पहले 24 जनवरी को कहा था कि असम के लिए एनआरसी प्रक्रिया को पूरी करने की डेडलाइन 31 जुलाई 2019 है और यह नहीं बदलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार, एनआरसी को-ऑर्डिनेटर और चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि आगामी चुनाव की वजह से एनआरसी की प्रक्रिया धीमी न हो.
असम में एनआरसी का मसौदा 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित हुआ था जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे. पहली सूची में 40,70,707 लोगों का नाम शामिल नहीं था. इनमें से 37,59,630 नामों को खारिज किया जा चुका है और बाकी 2,48,077 नामों को होल्ड पर रखा गया है.
Source : PTI