Vijay Mallya पर कोर्ट की अवमानना का आरोप, 11 जुलाई को SC सुनाएगा फैसला
नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक के बैंक घोटाले के मामले में भगोड़े कारोबारी विजय माल्य पर अदालत की अवमानना को लेकर सुनवाई होनी है.
highlights
- 11 जुलाई को सजा की अवधि को लेकर निर्णय सामने आएगा
- बच्चों के खातों में 4 करोड़ डॉलर देने को लेकर सुनाया था फैसला
नई दिल्ली:
नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक के बैंक घोटाले के मामले में भगोड़े कारोबारी विजय माल्य (Vijay Mallya) पर अदालत की अवमानना को लेकर सुनवाई होनी है. 11 जुलाई को सजा की अवधि को लेकर निर्णय सामने आएगा. गौरतलब है कि माल्या पर उनके किंगफिशर एयरलाइन (Kingfisher Airline) से जुड़े नौ हजार करोड़ रुपये के बैंक ऋण घोटाले (bank loan scam) में शामिल होने का आरोप है. उन्हें कोर्ट की अवमानना के एक मामले में दोषी ठहराया गया है. न्यायालय ने उन्हें अपने बच्चों के खातों में 4 करोड़ डॉलर देने को लेकर उन्हें कोर्ट की अवमानना का दोषी माना था.
शीर्ष कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई 11 जुलाई की वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति यूयू ललित की अगुवाई वाली पीठ आदेश सुनाएगी. न्यायमूर्ति ललित, न्यायमूर्ति एस.रवीन्द्र भट और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने अवमानना कानून के विभिन्न पहलुओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता एवं न्याय मित्र जयदीप गुप्ता की दलीलें सुनने के बाद आरोपी को दी जाने वाली सजा की अवधि तय करने के संबंध में फैसला 10 मार्च को सुरक्षित रखा था. इसके साथ टिप्पणी की थी कि विजय माल्या के खिलाफ सुनवाई में अब कोई भी प्रगति नहीं होनी है.
15 मार्च तक लिखित दलीलें पेश करने की इजाजत दी थी
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पूर्व में विजय माल्या का प्रतिनिधित्व कर चुके वकील को इस मामले में 15 मार्च तक लिखित दलीलें पेश करने की इजाजत दी थी. विजय माल्या के वकील ने 10 मार्च को कहा था कि ब्रिटेन में रह रहे उनके मुवक्किल से कोई निर्देश नहीं मिला है, इसलिए वह अवमानना के केस में दी जाने वाली सजा की अवधि को लेकर माल्या का पक्ष रख पाने में असक्षम हैं. पीठ ने कहा, ‘हमें बताया गया है कि माल्या के खिलाफ ब्रिटेन में कुछ मुकदमे चल रहे हैं.’
10 फरवरी को सुनवाई की तिथि तय कर दी थी
इस पर वकील का कहना है कि ‘हमें नहीं पता, कितने मामले लंबित हैं. मुद्दा यह है कि जहां तक हमारे न्यायिक अधिकार क्षेत्र का प्रश्न है तो हम कब तक इस तरह से चल पाएंगे.’ शीर्ष अदालत ने विजय माल्या को दिए गए लंबे वक्त का हवाला देते हुए 10 फरवरी को सुनवाई की तिथि तय कर दी थी. इसके साथ ही व्यक्तिगत तौर पर या अपने वकील के जरिये पेश होने का अंतिम मौका दिया था. विजय माल्या को कोर्ट की अवमानना के लिए 2017 में दोषी ठहराया गया था. शीर्ष कोर्ट ने 2017 के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए माल्या की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका 2020 में खारिज की थी.
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