SC ने RAW की आपत्तियों को खारिज कर कृपाल का नाम हाई कोर्ट जज के लिए फिर भेजा

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने उन संवैधानिक पद धारकों का भी उल्लेख किया, जिनके जीवनसाथी पूर्व के विदेशी नागरिक हैं. इस कड़ी में कॉलेजियम ने पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन और वर्तमान विदेश मंत्री एस जयशंकर का नाम लिया.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
Saurabh Kirpal

वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल समलैंगिक हैं और उनका पार्टनर विदेशी है.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (D Y Chandrachud) की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) की आपत्तियों को खारिज कर समलैंगिक वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल के नाम को दूसरी बार सरकार के पास भेजा है. रॉ ने स्विस नागरिक निकोलस जर्मेन बाचमैन के साथ कृपाल के समलैंगिक संबंधों पर आशंका व्यक्त की थी, तो कानून मंत्रालय ने कृपाल की समलैंगिक (Gay) अधिकारों के क्रम में उत्साही भागीदारी और भावुक लगाव पर आपत्ति जताई थी. इसके साथ ही कानून मंत्रालय (Law Ministry) ने कहा था कि भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा प्राप्त नहीं है. ऐसे में कृपाल के समलैंगिक पार्टनर की वजह से पूर्वाग्रह और पक्षपात की स्थिति बन सकती है. जस्टिस एस के कौल और केएम जोसेफ ने भी कृपाल की फिर से दोहराई गई सिफारिश पर हस्ताक्षर किए हैं. साथ ही कहा है कि रॉ की ओर से प्रेषित 11 अप्रैल 2019 और 18 मार्च 2021 कृपाल के आचरण रिपोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा पर दूर-दूर तक असर नहीं दिखता है. ऐसे में उनका साथी भारत (India) के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार करेगा मानना कतई उचित नहीं है.

Advertisment

आर नारायणन और एस जयशंकर का दिया हवाला
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने उन संवैधानिक पद धारकों का भी उल्लेख किया, जिनके जीवनसाथी पूर्व के विदेशी नागरिक हैं. इस कड़ी में कॉलेजियम ने पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन और वर्तमान विदेश मंत्री एस जयशंकर का नाम लेते हुए कहा, 'सिद्धांततः कृपाल की उम्मीदवारी पर सिर्फ इसलिए कोई आपत्ति नहीं हो सकती है, क्योंकि उनका साथी एक विदेशी नागरिक है.' कृपाल के खुले तौर पर समलैंगिक अभिरुचि स्वीकारने पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार को नवतेज जौहर संविधान पीठ के फैसले के बारे में याद दिलाया. इस फैसले में कहा गया था कि प्रत्येक व्यक्ति यौन अभिरुचि के आधार पर अपनी गरिमा और व्यक्तित्व बनाए रखने का हकदार है. ऐसे में इस आधार पर न्यायाधीश पद के लिए कृपाल की उम्मीदवारी की अस्वीकृति सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत होगी. कॉलेजियम ने कहा, 'कृपाल के पास योग्यता, सत्यनिष्ठा और बुद्धिमता है. उनकी नियुक्ति दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ के मूल्यों में वृद्धि कर समावेशी और विविधता प्रदान करेगी. उनका आचरण और व्यवहार दोषों से परे रहा है.

यह भी पढ़ेंः Pakistan अल्लाह बचाए, वैश्विक आतंकी मक्की ने जेल से वीडियो जारी कर बताया खुद को बेकसूर

कृपाल का नाम कॉलेजियम ने फिर सरकार को भेजा
हालांकि सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि बेहतर होता अगर कृपाल सरकार पर अपनी यौन अभिरुचि के कारण नियुक्ति रोकने का आरोप लगा मीडिया से बात नहीं करते. इसके साथ ही कृपाल के दर्द और पीड़ा को समझा जा सकता है कि सिर्फ यौन अभिरुचि के कारण उनका नाम पांच साल तक रोके रखा गया. गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट कॉलेजियम ने 13 अक्टूबर 2017 को उनका नाम न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट को भेजा था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने चार मौकों  क्रमशः 4 सितंबर 2018, 16 जनवरी 2019, 1 अप्रैल 2019 और 2 मार्च 2021 को उनके नाम पर विचार किया. यह अलग बात है कि कृपाल के विदेशी साथी पर केंद्रित खुफिया रिपोर्टों में दर्ज कराए गए कड़े विरोध को देख हर बार निर्णय को टाल दिया. इस कड़ी में 11 नवंबर 2021 को तत्कालीन सीजेआई एन वी रमना और जस्टिस यू यू ललित और ए एम खानविलकर वाले कॉलेजियम ने सरकार को कृपाल के नाम की सिफारिश की थी. इसे सरकार ने 25 नवंबर 2022 को वापस कर दिया. अब 18 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फिर उनके नाम को दोहराया है.

HIGHLIGHTS

  • रॉ ने गे विदेशी पार्टनर के आधार पर कृपाल के खिलाफ दी थी रिपोर्ट
  • सुप्रीम कोर्ट ने अब रिपोर्ट को खारिज कर फिर भेजा कृपाल का नाम
  • साथ ही गिनाए कुछ ऐसे नाम जिनके पार्टनर विदेशी नागरिक रहे 
Gay INDIA D Y Chandrachud saurabh kirpal Law Ministry सौरभ कृपाल Collegium RAW High Court Judge सुप्रीम कोर्ट डीवाई चंद्रचूड़ कानून मंत्रालय कॉेजियम Supreme Court Homosexual हाईकोईट जज समलैंगिक रॉ
      
Advertisment