logo-image

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया आदेश, कल्याणकारी स्कीमों के लिए अनिवार्य न हो आधार

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साफ किया है कि समाज कल्याण योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं हैं।

Updated on: 27 Mar 2017, 03:13 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साफ किया है कि समाज कल्याण योजनाओं का लाभ लेन के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर, न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की सदस्यता वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने सरकार द्वारा जारी किए गए विभिन्न आदेशों को चुनौती दी थी, जिनमें विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य बताया गया।

इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि सरकार अपनी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए आधार को अनिवार्य नहीं बना सकती। हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि सरकार द्वारा बैंक खाते खोलने जैसी अन्य योजनाओं में आधार का इस्तेमाल करने से नहीं रोका जा सकता।

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जरूरी होगा आधार कार्ड, अक्टूबर से लागू हो सकता है नया नियम

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के लिए एक सात न्यायाधीशों की पीठ गठित की जानी चाहिए हालांकि फिलहाल यह संभव नहीं है।

बता दें कि हाल ही में सरकार ने मिडडे मील जैसी करीब 1 दर्जन योजनाओं के लिए आधार नंबर को अनिवार्य कर दिया था। जिस पर सरकार को विपक्ष के हमले का भी शिकार होना पड़ा था। 

मिड डे मील के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता सही नहीं: कांग्रेस सांसद

इसके अलावा इन योजनाओं में छात्रों को मिलने वाली स्कॉलरशिप योजना भी शामिल थी, जिसमें बाद में छूट देने का फैसला किया गया। हालांकि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट (11 अगस्त 2015 को) कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य न करने की बात कह चुका था।

लेकिन 15 अक्तूबर, 2015 को उसने पुराने प्रतिबंध को वापस ले लिए और मनरेगा, सभी पेंशन योजनाओं भविष्य निधि, और एनडीए सरकार की महत्वकांक्षी प्रधानमंत्री जन-धन योजना सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं में आधार कार्ड के स्वैच्छिक प्रयोग की अनुमति दे दी थी।

(इनपुट आईएनएस से भी)

देश से जुड़ी ख़बरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें