सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र व राज्य सरकारों को बाल अधिकार संरक्षण आयोग, किशोर न्याय बोर्ड व बाल कल्याण समितियों में रिक्त पड़े सभी पदों पर शीघ्र नियमानुसार भर्तियां करने के निर्देश दिए।
शीर्ष अदालत की पीठ ने किशोर न्याय अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कई निर्देश जारी किए और उच्च न्यायालयों को प्रत्येक जिले में बाल हितैषी अदालतों व असुरक्षित गवाहों के लिए अदालतों की स्थापना करने पर विचार करने को कहा है।
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि रिक्तियों को भरने में विलंब होने पर बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
कल्याणकारी उपायों को लागू करने को लेकर सरकार पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत का यह आदेश आया है।
आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा, 'केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय और राज्य सरकारों के मंत्रालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोगों में खाली सभी पदों को जल्द भरा जाए ताकि बच्चों के फायदे के लिए वे प्रभावकारी ढंग से कार्य कर पाएं।'
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Source : IANS