सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाए जाने पर विधायकों को पूर्ण और स्वचालित रूप से अयोग्य घोषित करने के प्रावधान की वैधता को चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता आभा मुरलीधरन के वकील ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ से कहा कि यह प्रावधान विधायक को निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा सौंपे गए कर्तव्यों का स्वतंत्र रूप से निर्वहन करने से रोकता है।
पीठ में शामिल जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला ने वकील से कहा कि अदालत याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है और पीड़ित पक्ष को हमारे सामने आने दें।
पीठ ने वकील से पूछा, आप एक व्यक्ति के रूप में कैसे प्रभावित हैं? जब आप प्रावधान के कारण अयोग्य हो जाते हैं, तो हम इस पर गौर कर सकते हैं और वकील से कहा कि या तो आप याचिका वापस ले लें या इसे खारिज कर दिया जाए।
याचिका में प्रार्थना की गई कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8ए(3) के तहत स्वत: अयोग्यता को मनमाना, अवैध और समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने के लिए संविधान के अधिकारातीत घोषित किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता, केरल के मलप्पुरम के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने लोकसभा सचिवालय द्वारा एक सांसद के रूप में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अयोग्यता का हवाला देते हुए अधिनियम की धारा 8ए (3) के तहत स्वत: अयोग्यता के अस्तित्व के लिए एक निर्देश की मांग की।
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Source : IANS