सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें पीएम केयर्स फंड और पीएम राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई थी।
याचिकाकर्ता दिव्य पाल सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने न्यायमूर्ति बी. आर. गवई के साथ ही न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि उच्च न्यायालय ने एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के मामले में शीर्ष अदालत के फैसले पर भरोसा किया और याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी।
पीठ ने याचिकाकर्ता को एक समीक्षा याचिका के साथ उच्च न्यायालय में वापस जाने के लिए कहा। पीठ ने कहा, आप जाकर समीक्षा दायर करें।
मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद कामत ने कहा कि वह शीर्ष अदालत से याचिका वापस लेंगे और उच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका में प्राप्त धन का खुलासा करने की मांग की गई थी और धन की वैधता को भी चुनौती दी गई थी।
याचिका में कहा गया है कि पीएमएनआरएफ एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट, 24 जनवरी, 1948 को बनाया गया था और 2005 में, जब आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया गया था, तब राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) बनाया गया था। यह तर्क दिया गया कि एनडीआरएफ के निर्माण के बाद, पीएमएनआरएफ ने अपनी उपयोगिता खो दी।
यह दलील भी दी गई कि केंद्र सरकार ने 28 मार्च, 2020 को पीएम केयर्स फंड बनाया, उस प्रभाव के लिए कोई कानून पारित किए बिना यह किया गया और इसका निरीक्षण भी आरटीआई अधिनियम, 2005 के दायरे से बाहर कर दिया गया। याचिका में तर्क दिया गया है कि पीएम केयर्स फंड ने एक वैधानिक कोष, एनडीआरएफ को प्रतिस्थापित किया, जिसने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 को कमजोर कर दिया।
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Source : IANS