लव जिहाद कानून की संवैधानिकता जांचेगा सुप्रीम कोर्ट (Photo Credit: प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लव जिहाद कानून (Love Jihad law) के मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों को इस मामले में नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है लेकिन कानून की संवैधानिक पर विचार करने को तैयार हो गया है. उत्तर प्रदेश में अभी ये सिर्फ एक अध्यादेश है, जबकि उत्तराखंड में ये 2018 में कानून बन चुका है.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नवंबर में लव जिहाद को लेकर अध्यादेश जारी किया था. इसके तहत अगर कोई व्यक्ति किसी को लालच देकर, भटकाकर या डरा-धमकाकर धर्म बदलने को मजबूर करता है तो उसे पांच साल तक की सजा हो सकती है. सरकार के इस फैसले पर सामाजिक कार्यकर्ताओं और संगठनों ने नाराजगी जाहिर की थी. इसके बाद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई.
मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा कि ये मामला अभी इलाहाबाद हाईकोर्ट और उत्तराखंड हाईकोर्ट में लंबित है. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि आने हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि हम आपकी मेरिट पर सवाल नहीं उठा रहे पर आपको पहले हाईकोर्ट का रूख करना चाहिए था.
याचिकाकर्ता वकील की ओर से दलील दी गई कि जब मामला अलग अलग कोर्ट में लंबित है तो सुप्रीम कोर्ट के पास सारे रिकॉर्ड को तलब करने और जांच करने का अधिकार है. मामला सिर्फ यूपी, उत्तराखंड तक सीमित नहीं है. मध्य प्रदेश और हरियाणा भी ऐसा क़ानून बनाने जा रहे है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.