CAA के खिलाफ 14 अन्य याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया केंद्र को नोटिस

इससे पहले 22 जनवरी को नागरिकता कानून पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था

इससे पहले 22 जनवरी को नागरिकता कानून पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था

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Aditi Sharma
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सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने सीएए (CAA) के खिलाफ दायर की गई 14 अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सराकर को नोटिस जारी किया है. इसी के साथ इस मामले पर अब तक 200 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. 

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इससे पहले 22 जनवरी को नागरिकता कानून पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन करने का संकेत दिया. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह केंद्र सरकार को सुने बगैर सीएए पर स्थगन आदेश जारी नहीं करेगा. उस समय सुप्रीम कोर्ट ने 143 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर फैसला आने तक हाई कोर्टों की ओर से सीएए संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करने पर भी रोक लगा दी थी.

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केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुनवाई के दौरान बताया था कि 143 याचिकाओं में से करीब 60 की प्रतियां सरकार को दी गई हैं. सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली उन याचिकाओं पर जवाब देने के लिए सरकार को समय चाहिए जो उसे अभी नहीं मिल पाई हैं.

कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीएए के क्रियान्वयन और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की कवायद को फिलहाल टालने का अनुरोध किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

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कांग्रेस नेता जयराम रमेश, राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी आदि नेताओं ने नागरिकता कानून के विरोध में याचिकाएं दायर की थीं. अन्य याचिकाकर्ताओं में मुस्लिम संस्था जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू), पीस पार्टी, भाकपा, एनजीओ 'रिहाई मंच और सिटिजंस एगेंस्ट हेट, वकील एम एल शर्मा आदि शामिल हैं.

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