UAPA कानून में संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, SC करेगी परीक्षण

याचिकाओं में कहा गया है कि ये संशोधन नागरिकों के मौलिक आधिकारों का उल्लंघन करते हैं और जांच एजेंसियों को लोगों को आतंकवादी घोषित करने की ताकत प्रदान करते हैं.

author-image
Nihar Saxena
New Update
UAPA कानून में संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब, SC करेगी परीक्षण

सांकेतिक चित्र

सुप्रीम कोर्ट ने अवैध गतिविधियों (रोकथाम) कानून (UAPA) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संदर्भ में शुक्रवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. गौरतलब है कि इसी कानून के तहत जैश सरगना हाफिज सईद, अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और अन्य राष्ट्रविरोधी लोगों को आतंकवादी घोषित करने के चंद दिनों बाद ही केंद्र को यह नोटिस जारी किया है. याचिकाओं में कहा गया है कि ये संशोधन नागरिकों के मौलिक आधिकारों का उल्लंघन करते हैं और जांच एजेंसियों को लोगों को आतंकवादी घोषित करने की ताकत प्रदान करते हैं.

Advertisment

यह भी पढ़ेंः कंगाल पाकिस्तान का काल बनकर आ रहा है भारतीय वायुसेना का ये हथियार

एनजीओ की याचिका पर एससी का नोटिस
सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने सजल अवस्थी और गैर सरकारी संगठन 'असोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की याचिकाओं पर केंद्र सरकार को यूएपीए पर नोटिस जारी किया है. गौरतलब है कि संसद ने हाल ही में अवैध गतिविधियां (रोकथाम) कानून में संशोधनों को मंजूरी दी थी. इन संशोधनों के बाद सरकारी एजेंसियों को किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का अधिकार मिल गया है.

यह भी पढ़ेंः कन्‍हैया मामले में नहीं हुआ कोई फैसला, अरविंद केजरीवाल ने अटकलों को खारिज किया

याचिका में संशोधनों को संविधान के खिलाफ बताया
अवैध गतिविधियां गतिविधि रोकथाम कानून में हाल ही में हुए संशोधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है. कानून में जो बदलाव किए गए हैं, उनके बदलावों को ही याचिका में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के खिलाफ है. बता दें कि संसद से पास किए गए इस कानून के अनुसार केंद्र सरकार किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी की श्रेणी में डाली सकती है. फिर वह चाहे किसी समूह के साथ जुड़ा हो या नहीं.

यह भी पढ़ेंः मंदी की मार झेल रहे ऑटो इंडस्‍ट्री को मिल सकती है बड़ी राहत, कम हो सकती है GST

क्या है UAPA
अवैध गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA को 1967 में 'भारत की अखंडता तथा संप्रभुता की रक्षा' के उद्देश्य से पेश किया गया था. इसके तहत किसी शख्स पर 'आतंकवादी अथवा गैरकानूनी गतिविधियों' में लिप्तता का संदेह होने पर किसी वारंट के बिना भी तलाशी या गिरफ्तारी की जा सकती है. इन छापों के दौरान अधिकारी किसी भी सामग्री को ज़ब्त कर सकते हैं. आरोपी को ज़मानत की अर्ज़ी देने का अधिकार नहीं होता और पुलिस को चार्जशीट दायर करने के लिए 90 के स्थान पर 180 दिन का समय दिया जाता है.

HIGHLIGHTS

  • UAPA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस.
  • याचिकाकर्ताओं ने संशोधनों को नागरिकों के मौलिक आधिकारों का उल्लंघन करार दिया.
  • इस कानून के अनुसार केंद्र सरकार किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी की श्रेणी में डाली सकती है.
fundamental rights Supreme Court UAPA Notice Anti Constitution
      
Advertisment