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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर किए सवालों के बौछार, कहा- हमें नतीजा चाहिए

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन की कीमत में अंतर को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा. कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया कि वैक्सीन की कीमत में अंतर क्यों है. क्या वैक्सीन उपलब्ध कराने में राज्यों के बीच समानता नहीं है.

Updated on: 30 Apr 2021, 02:21 PM

highlights

  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कई सवालों के जवाब मांगे
  • कोरोना वैक्सीन की कीमतों में अंतर को लेकर भी सवाल किया
  • वैक्सीनेशन रजिस्ट्रेशन पर भी सरकार से सवाल किया गया

नई दिल्ली:

देश में फैले कोरोना संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज (शुक्रवार को) सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने कहा कि केवल राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों की ही जांच होगी. आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन की कीमत में अंतर को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा. कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया कि वैक्सीन की कीमत में अंतर क्यों है. क्या वैक्सीन उपलब्ध कराने में राज्यों के बीच समानता नहीं है. कोर्ट ने सवाल किया कि केंद्र सरकार 100 फीसदी टीकों की खरीद क्यों नहीं करती. इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के मॉडल पर राज्यों को वितरित क्यों करती ताकि वैक्सीन की दामों में अंतर न रहे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिरकार यह देश के नागरिकों के लिए है.

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सोशल मीडिया पर शिकायत गलत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि इस समय राष्ट्रीय स्तर पर हॉस्पिटल में भर्ती करने के लिए क्या कोई स्पष्ट नीति है? जब कोविड का नया वैरिएंट RTPCR से पता नहीं चल पा रहा, तो उस बारे में क्या रिसर्च हुआ है? टेस्ट का नतीजा जल्द आ सके, इस बारे में क्या किया जा रहा है? कोर्ट ने कहा कि केंद्र या राज्य सरकार किसी भी ऐसे इन्सान के खिलाफ अफवाह फैलाने के आरोप में कोई FIR दर्ज नहीं कर सकते जो सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन, बेड, दवाइयों की कमी को लेकर पोस्ट कर रहा है. कोर्ट ने साफ कहा कि यदि ऐसा हुआ तो ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा चलेगा. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संकट के इस दौर में सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा अपनी जरूरतों/जानकारी का प्रवाह हमे इससे निपटने में मदद ही करेगा.

सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने ऑक्सीजन सप्लाई के आवंटन का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि 'केंद्र सरकार के पक्ष की हम समीक्षा करेंगे. ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर ऐसी व्यवस्था बने कि लोगों को पता चल सके कि ऑक्सीजन की सप्लाई कितनी की गई और कौन से अस्पताल में यह कितना है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने केंद्र का हलफनामा पढ़ा. हमारी कोशिश है कि हम विचार प्रक्रिया में भूमिका निभाएं जिससे नीति निर्माताओं को मदद मिले. कोर्ट ने पूछा कि क्या ऐसी व्यवस्था बन सकती है, जिससे लोगों को पता चल सके कि ऑक्सीजन की सप्लाई कितनी की गई. किस हॉस्पिटल के पास इस समय कितनी उपलब्धता है.

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महामारी को नियंत्रित करने के लिए क्या प्लान है

कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि लॉकडाउन जैसे क्या प्रतिबंध सरकार की ओर से महामारी को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए है. ऑक्सीजन टैंकर और सिलेंडर की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए क्या प्लान है? सरकार के जवाब में इसका जिक्र नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से वैक्सीनेशन को लेकर रजिस्ट्रेशन कराने पर भी सवाल किया. सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार से सवाल किया कि निरक्षर लोग या वो लोग जो इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते, वह वैक्सिनेशन के लिए कैसे पंजीकरण करवा सकता हैं? शमशान घाट कर्मचारियों के रजिस्ट्रेशन की क्या व्यवस्था है? इन सभी के लिए सरकार ने क्या योजना बनाई है?

डॉक्टर्स के बारे में क्या कदम उठाए गए

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लगातार सेवा दे रहे डॉक्टर और नर्स बहुत बुरी स्थिति में हैं. चाहे निजी हॉस्पिटल में हो या सरकारी, उन्हें उचित आर्थिक प्रोत्साहन मिलना चाहिए. अंतिम वर्ष के 25,000 मेडिकल छात्र और 2 लाख नर्सिंग छात्रों की भी मदद लेने पर विचार होना चाहिए. धार्मिक स्थलों के राहत कार्यों के इस्तेमाल के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केरल में बाढ़ आपदा के दौरान मन्दिर-मस्जिद को राहत कार्यों के लिए इस्तेमाल किया गया था. हमने गुरुद्वारा लंगर के बारे में सुना है, पर एक राष्ट्र के तौर हमें सबको साथ आने की जरूरत है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें पता है कि पिछले 70 सालों में  स्वास्थ्य ढांचे में बहुत कुछ नहीं हो पाया. ऐसा नहीं है कि हम आज सरकार की सिर्फ आलोचना कर रहे हैं. हम लोगों की जिंदगी को लेकर फिक्रमंद है.इस आपातकालीन स्थिति में अभी बहुत काम करने की जरूरत है. हम चाहते हैं कि हमारी सुनवाई सेसकारात्मक बदलाव हो. हम ऑक्सीजन के बिना तड़प रहे नागरिकों की सुनना चाहते हैं.

कब तक हो जाएगी ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार इस सुनवाई को सही रूप में ही ले रही है. तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली टैंकरों की व्यवस्था न होने के चलते ऑक्सीजन उठाने में समर्थ नहीं है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने फिर पूछा कि आपके हिसाब से दिल्ली अभी ऑक्सीजन उठाने में समर्थ नहीं पर हम लोगों को ये तो नहीं कह सकते कि हम आपके बच्चों, अभिभावकों , घरवालो की  इसके चलते कोई मदद नहीं कर सकते. कोर्ट ने कहा कि हमें समाधान खोजना होगा. जिस पर तुषार मेहता ने कहा कि केन्द्र सभी राज्यों की मदद कर रहा है और काफी हद तक दिल्ली की समस्या का समाधान हुआ है. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट के लिए टैंकरों की पर्याप्त व्यवस्था कब तक हो जाएगी?