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बॉम्बे हाईकोर्ट के काम के घंटे कम करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट के काम के घंटे कम करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Updated on: 27 Jan 2022, 08:05 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट 4 फरवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट के सर्कुलर को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें कोविड-19 महामारी को देखते हुए इसके काम का समय घटाकर तीन घंटे कर दिया गया है।

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने गुरुवार को मामले को अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया।

याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय के अनुसार, उच्च न्यायालय की प्रधान पीठ केवल नाम के लिए काम कर रही है जिससे अदालत की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के कारण वादियों और अधिवक्ताओं को कठिनाई हो रही है।

शहर में बढ़ते कोविड के मामलों को देखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने 10 जनवरी को अपने काम के घंटों को 28 जनवरी तक प्रत्येक सप्ताह के दिनों में केवल तीन घंटे तक सीमित करने का फैसला किया था। अदालत का समय दोपहर 12 बजे से अपराह्न् 3 बजे तक है। शेड्यूल के अनुसार, सोमवार से शुक्रवार तक लंच ब्रेक के बिना काम चला।

याचिका में दलील दी गई है कि काम के घंटे कम कर नागरिकों के मौलिक अधिकारों को खतरे में डाला जा रहा है और हनन किया जा रहा है। यह बहुत चिंता और सार्वजनिक महत्व का विषय है।

याचिका में लिखा गया है, इसका कारण सभी संबंधितों के कोरोना के नए रूपों से संक्रमित होने के जोखिम को कम करना प्रतीत होता है, हालांकि इस बात को भुल दिया गया है कि यदि सभी अदालतों को एक दिन में तीन घंटे के लिए कार्यात्मक बनाया जाता है, तब भी जोखिम रहेगा ही।

याचिका के अनुसार, एक अन्य एसओपी ने निर्देश दिया है कि 3 जनवरी से मुंबई, पुणे, रायगढ़ और अलीबाग की निचली अदालतें सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच काम करें। 50 प्रतिशत कर्मचारियों की रोटेशन के मुताबिक ड्यूटी लगाई जाए और भौतिक माध्यम से रिमांड, जमानत और जरूरी मामलों की सुनवाई की जाए।

याचिका में कहा गया है कि इन अदालतों में वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से मामलों की सुनवाई के लिए कोई आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं है।

याचिका में हाईकोर्ट को दिशा-निर्देश बनाने और मामलों की निपटान दर बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र की सभी अदालतों में वर्चुअल सुनवाई सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग भी की गई है।

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