सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण कानून के तहत बुनियादी ढांचे में खामियों को दूर करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र से जवाब मांगा।
सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दाखिल की गई है, उसे एक एनजीओ वी द वीमेन ऑफ इंडिया की ओर से दायर किया गया है। इस एनजीओ ने देशभर में शादी के बाद दुर्व्यवहार सहने वाली महिलाओं को कानूनी मदद और आश्रय गृह मुहैया कराने के लिए घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत बुनियादी ढांचे में व्यापक पैमाने पर मौजूद खामियों को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसके अलावा याचिका में पति और ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद महिलाओं को आश्रय और प्रभावी कानूनी मदद दिए जाने की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति यू. यू. ललित और एस. रवींद्र भट ने गृह मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों को नोटिस जारी किया।
पीठ ने कहा, प्रतिवादी 1, 2 और 3 को नोटिस जारी करें। 6 दिसंबर, 2021 तक जवाब दाखिल किया जाना चाहिए।
हालांकि, पीठ ने राज्य सरकारों को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया, क्योंकि इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। याचिका में मामले में केंद्र, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया गया था।
अधिवक्ता शोभा गुप्ता के माध्यम से याचिका दायर की गई है।
याचिका में साल 2019 के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला दिया गया है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के तहत वगीर्कृत 4.05 लाख मामलों में से 30 फीसदी घरेलू हिंसा के मामले थे।
याचिका में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के निष्कर्षों का हवाला देते हुए कहा गया है कि घरेलू हिंसा की शिकार लगभग 86 प्रतिशत महिलाएं कभी मदद नहीं मांगती हैं।
याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित नियमित जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
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Source : IANS